प्रदेश में अधिकांश दूध उत्पादक अपने दुधारू पशुओं के लिए गेहूं और चने के भूसे पर ही निर्भर रहते हैं जोकि धीरे—धीरे बहुत कम होता जा रहा है। दूसरी तरफ पशु आहार भी लगातार महंगा हो रहा है. इन कारणों से दूध देनेवालेपशुओं को पर्याप्त आहार और चारा नहीं मिल पा रहा है जिसका दूध का उत्पादन गिरने के रूप में सामने आ रहा है।
वर्ष 2020-21 में मध्यप्रदेश में दूध का उत्पादन करीब 18 हजार टन रहा, लेकिन इस साल जबर्दस्त कमी होने के आसार हैं। जानकारी के अनुसार दूध की कमी के कारण मध्यप्रदेश सहकारी दुग्ध महासंघ सांची के दूध संकलन में खासी कमी आ चुकी है. सांची के इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और सागर के दुग्ध संघों के पास दूध संकलन घटता जा रहा है। बताते हैं कि इन सभी दुग्ध संघों के पास एक माह में ही करीब एक लाख लीटर दूध की कमी आ गई है।
दूध की कमी के कारण कंपनियां दूध के दामों में वृद्धि कर रहीं हैं. मध्यप्रदेश दुग्ध महासंघ ने जहां दूध उत्पादक किसानों के लिए हाल ही में खरीदी दर बढ़ाई वहीं उपभोक्ताओं के लिए भी दूध चार रुपये प्रति लीटर महंगा कर दिया। पशु आहार और चारा महंगा होने और दूध उत्पादन घटने दूध के दामों में और वृद्धि होना तय है। दूध विक्रेता स्पष्ट कह रहे हैं कि दाम बढ़ाने के अलावा और कोई चारा भी नहीं है। सूत्रों के अनुसार जल्द ही दूध की दरों में फिर करीब 2 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि की जा सकती है।
इधर पशु पालन विभाग के अधिकारियों के अनुसार दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने पहल की है। इसके लिए राष्ट्रीय पधुधन योजना शुरु की जिसमें दुधारु पशुओं के लिए मक्का के पौधों से सस्ता पौष्टिक आहार बनाया जा रहा है।