नौ साल में ही हो गईं कंडम ~ उत्कृष्ट सर्विस का दावा करने वाली यह बसें महज नौ साल में ही कंडम हो गईं। बीसीएलएल ने नवंबर 2010 में विभिन्न रूटों पर 150 लो फ्लोर बसों को उतारा था। उस समय दावा किया गया था कि इन बसों से शहरी ट्रैफिक का स्वरूप बदल जाएगा, लेकिन यह बसें अब मुसिबब बन गई हैं। यही नहीं इससे प्रदूषण भी हो रहा है।
ऑपरेटर बदले हालात जस के तस~ शहर में लो फ्लोर बसों का संचालन सबसे पहले प्रसन्ना पर्पल कंपनी द्वारा किया गया, लेकिन घाटा होने के कारण उसने इन बसों का संचालन बंद कर दिया। इसके बाद बीसीएलएल ने 2016 में इन बसों को श्री दुर्गम्बा और एपी मोट्र्स को नई बसों के अनुबंध के साथ संचालन सौंप दिया। हालांकि अब तक बसों की स्थिति नहीं बदली है।
रोज डेढ़ लाख से अधिक यात्री बसों पर निर्भर~ बीसीएलएल के पास लो फ्लोर और मिडी बसें मिलाकर कुल 286 बसें हैं, लेकिन ज्यादातर बसें खटारा होने के कारण आए दिन मेंटेनेंस पर रहती हैं। रोजाना औसतन 180 से 190 बसें विभिन्न रूटों पर चलती हैं। इन बसों में रोजाना 1 लाख 55 हजार से अधिक यात्री सफ र करते हैं।
अगले महीने आएंगी 40 बसें- 10 बसों के बाद 30 बसों की अगली खेप भी आ जाएगी। आरटीओ संबंधी काम पूरे होने के बाद संभवत: एक महीने में ही इन बसों का संचालन भी शुरू हो जाएगा।
बसें आ चुकी हैं, आरटीओ संबंधी कार्रवाई चल रही है। इसके बाद रूट तय होते ही बसों का संचालन शुरू हो जाएगा।
संजय सोनी, पीआरओ, बीसीएलएल
संजय सोनी, पीआरओ, बीसीएलएल