पढ़ें ये खास खबर- इस बार 4 दिवसीय होगा आलमी तब्लीगी इज्तिमा, दुनियाभर से धर्म की सही शिक्षा हासिल करने आते हैं लाखों लोग
इस बार से चार दिवसीय होगा इज्तिमा
इस बार 22 नवम्बर से आलमी तब्लीगी इज्तिमा की शुरुआत भोपाल से 11 किलोमीटर दूर ईंट खेड़ी पर होने जा रही है, जिसका समापन 25 नवम्बर को होगा। जो शुक्रवार, शनिवार, रविवार और सोमवार को होगा। हालांकि, ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब, इज्तिमा का आयोजन चार दिवसीय होगा। जो शुक्रवार की सुबह फज्र की नमाज से शुरु होकर सोमवार दोपहर जोहर की नमाज से पहले खत्म होगा। दिल्ली के हजरत निजाम उद्दीन स्थित तब्लीगी जमात के मरकज (मुख्यालय) से आने वाले उलेमा चार दिनों तक कुरआन के संदेश और रसूल अल्लाह मोहम्मद साहब की जीवनी और उनके द्वारा दी गई सीख पर तकरीर करेंगे।
पिछले साल ही हो गया था चार दिवसीय इज्तिमा का फैसला
पिछले साल तक ये आयोजन तीन दिवसीय हुआ करता था। इज्तिमा को चार दिवसीय किये जाने का फैसला पिछले साल ही ले लिया गया था। लेकिन, पिछली बार विधानसभा चुनावों की तारीख इज्तिमा के अगले दिन होने के कारण इसे अंतिम समय में तीन दिवसीय ही कर दिया गया था। ताकि, इतनी आबादी के कारण प्रशासनिक व्यवस्थाओं का उल्लंघन ना हो और आचार संहिता का मान बना रहे।
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दुनियाभर के तीन देशों में होता है आलमी पैमाने पर इज्तिमा
देशभर में आलमी (विश्वस्तरीय) तौर पर इज्तिमा सिर्फ भोपाल में ही होता है। हालांकि, इसके अलावा हर साल बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी आलमी पैमाने पर इज्तेमा होता है। बांग्लादेश के टोंगी में होने वाला इज्तेमा सबसे बड़ा माना जाता है। बीते साल यहां दुनियाभर के करीब साढ़े 4 करोड़ लोगों ने शिरकत की थी। इसके बाद भारत के दिल कहे जाने वाले भोपाल में हर साल होने वाले इज्तिमा में लोग दुनियाभर से आते हैं। बीते साल यहां करीब 14 लाख लोगों ने शिरकत की थी। इसके अलावा तीसरे नम्बर पर पाकिस्तान के रायविंड में इस तरह का सालाना आयोजन होता है। जिसमें बीते साल करीब 7 लाख लोग शामिल हुए थे। हालांकि, इस बार भोपाल में होने वाले इज्तिमा में करीब 15 लाख लोगों के शिरकत करने का अनुमान है।
इज्तिमा में सिखाई जाती है ये बातें
आलमी तब्लिगी इज्तिमा का शाब्दिक अर्थ विश्वस्तरीय धार्मिक सम्मलेन होता है। पूरी दुनिया से इस्लाम के अनुयायी धर्म की शिक्षा हासिल करने यानी सीखने और सिखाने के लिए यहां आते हैं। इस दौरान धर्म के उलेमा कुरआन की शिक्षा, आदर्शों और नबी मोहम्मद साहब की जीवनी और उनके व्यवहार के मुताबिक जिंदगी गुजारने की सीख देते हैं। साथ ही, आयोजन के समापन पर हर साल यहां से लाखों लोग एक साथ अल्लाह से दुनियाभर में अमन-शांति की दुआ करते हैं।
इन देशों से पहुंचेंगी जमातें (ग्रुप)
वैसे तो भोपाल में होने वाले आलमी तब्लीगी इज्तिमा में दुनिया भर से कई लोग अलग अलग आते हैं। लेकिन, जमातें (ग्रुप) बनाकर भी यहां कई देशों से लोग शामिल होते हैं। इनमें रूस, फ्रांस, कजाकिस्तान, इंडोनेशिया, मलेशिया, जाम्बिया, दक्षिण अफ्रीका, कीनिया, इराक, सऊदी अरब, इथियोपिया, यमन, सोमालिया, थाईलैंड, तुर्की, श्रीलंका आदि देशों से लाखों की तादाद में जमातें आयोजन में शिरकत करने आती हैं। इस बार भी करीब 40 देशों से जमातों के आने का अनुमान है।
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इनके सानिध्य में हुई थी इज्तिमा की शुरुआत
भोपाल में होने वाले इज्तिमा की शुरुआत 70 साल पहले देश को आजादी मिलने के अगले साल से हुई थी। शहर के पुराने लोगों के मुताबिक, तब्लीग के माध्यम से अल्लाह का संदेश इस्लाम के मानने वालों को पहुंचाने की शुरुआत मौलाना मिस्कीन साहब ने भोपाल की कदीमी (पुरानी) मस्जिद शकूर खां से की थी। इसी के साथ इज्तिमा का आयोजन शहर में स्थित एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद ताज उल मसाजिद से शुरु किया गया। इसके बाद इज्तिमा की जिम्मेदारी मौलाना इमरान खां साहब और बड़े सईद मियां के पास रही। पिछले कई सालों से अब तक इज्तिमा प्रबंधन की जिम्मेदारी मौलवी मिस्बाह उद्दीन साहब, इकंबाल हफीज साहब आदि बुजुर्गों के कांधों पर है।
अमीर साहब ने पहली साल ही कर दी थी ये भविष्यवाणी
ऐसा माना जाता है कि, उस समय 13 लोगों में से कुछ लोगों ने कहा था कि, हम सिर्फ 13 ही लोग तो हैं। ये आयोजन करने के लिए शहर की कोई भी छोटी मस्जिद चुनी जा सकती थी। लेकिन, इतने कम लोगों के आयोजन के लिए इतनी बड़ी मस्जिद चुनना ठीक नहीं। इसपर जमात के अमीर (अध्यक्ष) ने जवाब देते हुए कहा था कि, आज इस मस्जिद को इतना बड़ा माना जा रहा है, लेकिन एक समय ऐसा आएगा, जब एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद मानी जाने वाली ताज-उल-मसाजिद भी छोटी पड़ जाएगी। जमात के अमीर साहब की ये बात 56 साल बाद ही सिद्ध हो गई। शहर की इतनी बड़ी मस्जिद और उसके आसपास के इलाके भी कम पड़ने लगे। बढ़ती भीड़ के कारण शहर में ट्रैफिक व्यवस्थाएं बिगड़ने लगीं। आखिरकार साल 2005 में इज्तेमा प्रबंधन ने आयोजन को वहां से हटाकर शहर से बाहर ईंट खेड़ी के खेतो में करने का निर्णय लिया। तब से लेकर आज तक बीते 14 सालों से हर साल यहीं ये आयोजन होता आ रहा है। जिस साल शहर की ताजुल मसाजिद से इज्तिमा को विस्थापित किया गया, उस साल इज्तिमा में दुनियाभर के करीब 7 लाख लोगों ने शिरकत की थी।
पहले दिन होंगे सामूहिक निकाह
एक तरफ जहां दुनियाभर में शादी को इतना मुश्किल और खर्चीला काम बना लिया गया है। वहीं इस्लामिक संदेशों के अनुसार इसे बहुत आसान किया गया है। ताकि, गरीब से गरीब परिवार अपने बच्चों का आसानी से घर बसा सके। इसी तर्ज पर हर साल बिना किसी खर्च के फ्री में निकाह आयोजित किये जाते हैं। हर साल की तरह इस बार भी यहां सेकड़ों निकाह होंगे, जो शादियों में होने वाली फिजूल खर्ची के इस दौर में बिना किसी खर्च की शादी करके आसान और सादे निकाह का संदेश देंगे। इस बार इज्तिमा के पहले दिन 22 नवम्बर को असिर की नमाज के बाद सामूहिक निकाह भी होंगे। निकाह के रजिस्ट्रेशन के लिए इच्छुक लोग 20 नवंबर तक दारूल कजा से फॉर्म हासिल कर सकते हैं।
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ये होगी इज्तिमा स्थल की व्यवस्था