‘सानिध्य’ कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित थीं। डॉ. गुलाब कोठारी ने कहा— महिलाएं ही परिवार संभाल सकती हैं। बच्चे की भावना से लेकर घर के बड़ों की जरूरत को बिना कहे समझने की शक्ति उनके पास ही होती है। साथ ही प्रोफेशन के साथ परिवार को लेकर चलने की खूबी भी महिलाओं में ही ज्यादा होती है।
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति अर्धनारीश्वर है। यानी हर नर में नारी है और हर नारी में नर है। जिसमें जो अंश ज्यादा है वह खुद को उसी तरह से समझता है। मगर जब हम खुद की खोज करते हैं तो हमें अपने अंदर अन्य पहलू भी नजर आते हैं। यही बात हमें संवेदनशील और अन्य लोगों के प्रति करुणा की भावना का स्रोत है।
कार्यक्रम के दौरान प्रश्न उत्तर सत्र का भी आयोजन किया गया जिसमें जिज्ञासाओं का समाधान गुलाब कोठारी ने किया। महिलाओं ने बच्चों के चारित्रिक निर्माण और समाज में अच्छे नागरिक बनने के विभिन्न पहलुओं पर बात की। आज के संदर्भ में महिलाओं की बढ़ती भूमिका और उनकी दोहरी जिम्मेदारी पर भी शंकाओं का समाधान हुआ।
कार्यक्रम का संचालन सानिध्य एनजीओ की सीइओ ऋतु शर्मा ने किया। एनजीओ सुमित पाठक, नेहा गर्ग और निकिता जैन की अहम भूमिका रही। इनके अलावा शिवानी घोष, परवरिश म्यूजियम स्कूल, अनुपमा आचार्या, प्रोफेसर मैनिट, परी प्रिंसिपल बानयान स्कूल, रेनू नायक, फैशन एक्सपर्ट, डॉ. अम्बिका श्रीवास्तव, डेंटिस्ट, मनीषा आनंद, लाइफ कोच, अमिता ङ्क्षसह, डाइटीशियन, अमिता सरकार, स्टोरी टेलर, सुरेखा, ध्रुपद गायिका, मोहिनी, स्तुति, इंटीरियर डिजाइनर, प्रीति खरे, कॉर्पोरेट ट्रेनर और मंजरी, प्रतिभा तिवारी, अमिता सरकार समेत अन्य महिलाएं शामिल थीं।
कांसेप्ट क्लियर हुआ
करियर काउंसलर मनीषा आनन्द के मुताबिक यह अविस्मरणीय सत्र रहा। कई चीजों पर हमारे विचार खुले हैं। जिसमें सबसे अहम बात यह है कि पुरूष बुद्धि का प्रतीक माना जाता है। वहीं महिलाएं मन का प्रतीक मानी जाती हैं। यानी खुद का नहीं बल्कि दूसरों का कैसे पालन किया जाए यह बेहतर समझती हैं। इस पर कांसेप्ट क्लियर हुआ।
ऐसी लेखनी और कहीं देखने को नहीं मिलती
शिक्षाविद परी जोशी ने बताया कि पिछले दो साल से अधिक समय से में डॉ.गुलाब कोठारी की हर एक लेखनी को पढ़ती आई हूं। आज के समय में मुझे इस तरह का बेबाक लेखन करने वाला और कोई व्यक्ति नजर नहीं आता। जिन शब्दों का उनकी लेखनी में प्रयोग होता है, वे अब कहीं और नजर ही नहीं आते हैं।
डॉ.गुलाब कोठारी ने मन व बुद्धि में अंतर समझाया
इंटीरियर डिजाइनर रवीशा मर्चेट ने बताया कि मन व बुद्धि में अंतर समझना जरूरी है। जिस तरीके से डॉ.गुलाब कोठारी ने मन व बुद्धि में अंतर को समझाया और किस तरह इन दोनों की ही अपनी-अपनी जगह अहमियत है यह बात बहुत अच्छी लगी।