Must see: मिलर्स ने धान लेने से किया इनकार
तीन प्रजातियों का कोई पेड़ नहीं मिला
यह रिसर्च प्रदेश के 6 ईकोरीजन्स के देवास, श्योपुर, दमोह, साउथ पन्ना, बालघाट और उमरिया वन मंडल के एक-एक कंपार्टमेंट में किया गया। रिसर्च वाले कंपार्टमेंट में वन विभाग की टीम को पीलू, सोनापाठा और वरुण का एक मी पेड़ नही मिला।
शोध में हुआ खुलासा
राज्य बायोडायजर्सिटी बोर्ड और वन विभाग के एक शोध में भी इसका खुलासा हुआ है। मप्र बायोडायवर्सिटी बोर्ड और बंगलुरू की संस्था फाउंडेशन फॉर रीवाइटेलाइजेशन ऑफ लोकल हेल्थ ट्रेडिशंस द्वारा विभिन्न क्षेत्रों मे आई रिपोर्ट के आधार पर मध्य प्रदेश में 50 औषधीय पौधों के विलुप्त होने की बात कही ई थो। इसके बाद बोर्ड ने यह रिसर्च प्रोजेक्ट वन विभाग को सौंपा। वन विभाग के तत्कालीन अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान और वर्तमान में पीसीसीएफ और एमडी स्टेट बेंबू मिशन अभय कुमार पाटिल के नेतृत्व में शोध किया गया।
रुका रीजनरेशन
विलुप्ति की कगार गर पहुंचे इन 13 प्रजातियों के इन पेड़ों का रीजनरेशन नहीं हो पा रहा है। इनके फल पक नहीं पा रहे और नीचे नहीं गिर पा रहे है। उन्हें पहले ही तोड़ लिय जा रहा है।
अब यह हो रहे प्रयास
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार विभाग ने इन पौधों के संरक्षण के निर्देश जारी किए हैं। कुल रोपे जाने वाले पौधों में से 10 फीसदी इन्हीं प्रजातियों के रोपने के निर्देश वन मंडलों को दिए गए हैं। मध्य प्रदेश बायोडायवर्सिटी बोर्ड के सदस्य सचिव जसबीर सिंह ने कहा कि जैवविविधता सरक्षण के लिए शासन तो काग कर रहा है।आम नागरिकों की मदद से यह और अच्छी तरह से हो सकता है।