इंदौर के विकास को लेकर मंत्रालय में हुई बैठक के बाद मीडिया से चर्चा के दौरान विजयवर्गीय ने बताया कि इंदौर और भोपाल को रिसीविंग जोन बनाया जाएगा और 24 मीटर या इससे अधिक चौड़ी सड़कों को लेकर जनरेटिंग जोन बनाया जाएगा। इन सड़कों का 0.5 एफएआर भी बढ़ाया जाएगा। भोपाल के मास्टर प्लान को लेकर उन्होंने कहा कि भोपाल मास्टर प्लान के लिए हम जनता से रायशुमारी करेंगे, इसके बाद ही मास्टर प्लान लाया जाएगा।
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विजयवर्गीय ने क्रेडाई के पदाधिकारियों, अलग-अलग इलाकों के जनप्रतिनिधियों और विभाग के अफसरों के साथ बैठक भी की, जिसमें उन्होंने कहा कि इंदौर शहर के सुनियोजित विकास के लिए सभी निर्माण एजेंसियों को मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने शहर के सभी विकास कार्यों को टाइम-फ्रेम में पूरा करने के भी निर्देश दिए। इस मौके पर जल-संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, मेयर इंदौर पुष्यमित्र भार्गव, विधायक महेंद्र हार्डिया, मधु वर्मा, रमेश मेंदोला और राकेश गोलू शुक्ला भी मौजूद थे।
बैठक में इंदौर के मास्टर प्लान पर भी चर्चा को लेकर उन्होंने कहा कि मास्टर प्लान का ड्राफ्ट जून-2024 तक पूरा हो जाएगा। इंदौर को वर्ल्ड क्लास सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। स्वच्छतम शहर की निरंतरता को रखते हुए शहर का विकास किया जाएगा। शहर के जनसंख्या संतुलन को दृष्टिगत रखते हुए महानगरीय क्षेत्र में ग्रोथ सेंटर एवं सेटेलाइट टाउन का विकास किया जाएगा। बैठक में इंदौर मेट्रो पर चर्चा की गई। इंदौर मेट्रो की लागत सात हजार 500 करोड़ रुपए है। इसे तीन फेज़ में पूरा करेंगे। बैठक में शहर की रिंग रोड, एलिवेटेड कारिडोर, हुकुमचंद मिल परिसर के री-डेवलपमेंट विषय पर भी चर्चा हुई।
विजयवर्गीय ने कहा कि इंदौर के विकास के लिए राज्य सरकार पर्याप्त राशि उपलब्ध कराएगी। उन्होंने नगर निगम को आय बढ़ाने के प्रयास करने के साथ विभागों पर बकाया रकम की वसूली पर ध्यान देने को भी कहा है। उन्होंने कहा कि इंदौर शहर की विभिन्न एजेंसियों की सड़कों पर बोर्ड लगाकर प्रदर्शित किया जाए कि इनका संधारण किस एजेंसी द्वारा किया जा रहा है। बोर्ड में संपर्क अधिकारी के नाम भी उल्लेखित हो। इस व्यवस्था से लोगों को सुविधा होगी। प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास नीरज मंडलोई ने बताया कि इंदौर शहर के विकास के लिए केंद्र सरकार से 1500 करोड़ रुपए की अनुदान राशि मिली है। बैठक में मौजूद जन-प्रतिनिधियों ने इसका स्वागत किया।