मंसूर अली खान पटौदी(Mansur Ali Khan Pataudi) का जन्म मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 5 जनवरी 1941 में हुआ था। एमपी के पटौदी ने पूरी दुनिया में एक मिसाल पेश की, जिसे आज भी लोग बड़े उत्साह से याद करते हैं। जानिए जांबाज युवा कप्तान का हैरान करने वाला किस्सा…
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सफलता के दिनों में भयानक हादसा
मंसूर अली खान(Mansur Ali Khan Pataudi) के पिता भी एक क्रिकेटर थे। अपने पिता इफ्तिखार अली खान पटौदी के नक्शे कदम पर चलते हुए मंसूर अली खान ने भी क्रिकेट को अपने करियर के तौर पर चुना। सिर्फ 16 साल की उम्र में उन्होंने इंग्लैंड की काउंटी टीम ससेक्स के लिए साल 1957 में फर्स्ट क्लास डेब्यू किया था। अगले 4 सालों तक मेहनत करते हुए मंसूर इंटरनेशनल डेब्यू की ओर बढ़ रहे थे। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। साल 1961 में मंसूर अली खान एक भीषण सड़क हादसे का शिकार हो गए। ये भी पढें – Sagar IT Raid : भाजपा के पूर्व विधायक के घर मिला 14 किलो सोना, 3.80 करोड़ नकद
हार नहीं मानी
सड़क हादसे में कार के कांच के टुकड़ें मंसूर अली खान की आंखों में घुस गई। इसके चलते उनका देख पाना भी मुश्किल हो गया। हालांकि की डॉक्टरों ने किसी तरह उनकी एक आंख को बचा लिया। 20 साल की उम्र में हुए इस हादसे ने उनके क्रिकेट करियर को खत्म करने की पूरी कोशिश की लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। मंसूर ने एक आंख से ही क्रिकेट खेलना शुरू किया। अपनी कड़ी मेहनत और अभ्यास के दम पर पटौदी ने एक आंख से ही खेलने में माहिर हो गए। उसी साल मंसूर अली खान ने इंग्लैंड के खिलाफ दिल्ली में टेस्ट डेब्यू किया। ये भी पढें – अब हर भक्त देखेगा महाकाल का दिव्य स्वरूप, होंगे भव्य दर्शन
पटौदी बने कप्तान
साल 1962 में भारतीय क्रिकेट टीम ने नारी कॉन्ट्रैक्टर की कप्तानी में वेस्टइंडीज का दौरा किया था। इस दौरान बारबडोस के खिलाफ अभ्यास मैच में नारी घायल हो गए। तेज गेंदबाज चार्ली ग्रिफिथ की गेंद नारी के सिर पर लगी जिसके बाद वे मैदान में ही बेहोश हो गए और उनके नाक और कान से खून निकलने लगा। गुलाम अहमद जो कि टीम के मैनेजर थे, उन्होंने उपकप्तान मंसूर अली खान(Mansur Ali Khan Pataudi) को कप्तान बनाने का फैसला किया। मंसूर ने युवा कप्तान बनकर एक नया इतिहास रचा तो वहीं नारी कॉन्ट्रैक्टर का क्रिकेट करियर हमेशा के लिए खत्म हो गया। ये भी पढें – Mahakumbh 2025 : प्रयागराज के लिए एमपी के इस शहर से सीधे मिलेगी फ्लाइट-बस-ट्रेन