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भोपाल का नाम क्यों रखना चाहिए भोजपाल, पहले भी उठी है कई बार ये मांग

यह नगर परमार वंश के महान शासक राजा भोज के नाम पर है और उन्हीं के द्वारा बसाया गया था, उनका कहना था कि इस शहर का नाम भोपाल होना मोहम्मद जैसे क्रूर शासक और हमीदुल्लाह जैसे आतंकी नवाब का बोध कराता है, इसलिए भोपाल का नाम बदलना चाहिए।

भोपालJun 02, 2023 / 02:17 pm

Subodh Tripathi

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भोपाल. राजधानी भोपाल का नाम लंबे समय से भोपाल करने की मांग चली आ रही है, भोपाल गौरव दिवस के कार्यक्रम में आए मशहूर गीतकार और पटकथा लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला ने भोपाल की आजादी से लेकर भोपाल का नाम भोजपाल रखने कारण भी बताया।

गीतकार मनोज मुंतशिर ने लाल परेड ग्राउंड पर आयोजित गौरव उत्सव कार्यक्रम में राज भोज के जयकारे लगवाते हुए कहा कि राजा भोज शिव के परम भक्त थे, वर्तमान में शिवराज सिंह चौहान की सरकार है, इसलिए भोपाल का नाम अब भोजपाल नहीं हुआ तो कब होगा, उन्होंने कहा कि यह नगर परमार वंश के महान शासक राजा भोज के नाम पर है और उन्हीं के द्वारा बसाया गया था, उनका कहना था कि इस शहर का नाम भोपाल होना मोहम्मद जैसे क्रूर शासक और हमीदुल्लाह जैसे आतंकी नवाब का बोध कराता है, इसलिए भोपाल का नाम बदलना चाहिए। आपको बतादें कि इससे पहले भी कई बार भोपाल का नाम भोजपाल रखने की मांग उठ चुकी है, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई आदेश नहीं हुआ है।

 

2.5 साल तक नहीं आजाद हुआ था भोपाल


आपको बतादें कि यूं तो पूरा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया था, लेकिन भोपाल को आजादी नहीं मिली थी, क्योंकि भोपाल के नवाब ने भोपाल रियासत को भारत में विलीन करने से इंकार कर दिया था, इस कारण करीब इस कारण भोपाल में रहनेवाले लोगों ने भोपाल को भारत में विलीन करने के लिए आंदोलन किया था, इसके बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा सख्त रवैया अपनाने के बाद 1 जून 1949 को भोपाल आजाद हुआ था और भोपाल में तिरंगा लहराया था, इसलिए 1 जून को भोपाल का गौरव दिवस भी मनाया तय किया गया है।


इससे पहले जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने भी भोपाल का नाम भोजपाल करने की मांग की, उन्होंने कहा था कि मैं भोपाल का नाम भोजपाल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करूंगा, उन्होंने संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर से भी कहा था कि वे सीएम शिवराज को समझाएं, क्योंकि जब होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम किया गया, तो भोपाल में तो महज ज अक्षर ही जोडऩा है। दरअसल जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज भोपाल में श्री राम कथा करने आए थे, उसी दौरान उन्होंने ये मांग की थी। उन्होंने कहा था कि भोपाल का नाम भोजपाल हो गया तो संस्कृत के स्वाभिमान की रक्षा हो जाएगी, संस्कृत का स्वाभिमान हमारे राष्ट्र से जुड़ा है, उन्होंने मंत्री ठाकुर से कहा था कि विधानसभा में भोपाल का नाम भोजपाल करने का प्रस्ताव लाकर नाम भोजपाल कर देना चाहिए।

इन शहरों के बदले गए नाम


प्रदेश में होशंगाबाद का नाम बदलकर नर्मदापुरम किया गया, भोपाल में हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति कर दिया गया, पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर टंट्या भील स्टेशन कर दिया गया, राजधानी भोपाल के एक गांव इस्लामपुर का नाम बदलकर जगदीशपुर कर दिया गया, नसरूल्लागंज का नाम बदलकर भैरूंदा कर दिया गया, बिरसिंहपुर पाली को टाउन मां बिरासनी धाम, बावई को माखननगर नाम दिया गया है। अब भोपाल का नाम भोजपाल करने की मांग उठ रही है।

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