मां शारदा मंदिर, मैहर
मध्य प्रदेश के प्रमुख दर्शनीय मंदिरों में से एक सतना जिले में मैहर देवी मंदिर है। देवी शारदा के लिए प्रसिद्ध यह मंदिर त्रिकुट पहाड़ी के ऊपर स्थित है। माता सती के 51 पीठों में से एक माने जाने वाले मैहर देवी मंदिर में 1000 से भी अधिक सीढ़ियां है। ऐसी मान्यता है कि सती माता के गले का हार गिरने से इस पवित्र स्थान का नाम मैहर रखा गया है। मैहर की मां शारदा को आला और उदल की इष्टदेवी कहा जाता है। यह मंदिर बहुत जागृत एवं चमत्कारिक माना जाता है। कहते हैं कि रात को
आला-उदल आकर माता की आरती करते हैं, जिसकी आवाज नीचे तक सुनाई देती है।
सलकनपुर बिजासन माता मंदिर
मध्य प्रदेश के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में शामिल बिजासन माता मंदिर सलकनपुर भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है। यह मंदिर माता दुर्गा के बिजासन रूप के लिए प्रसिद्ध है जो कि 800 फीट की उंचाई पर पहाड़ों में जाकर बसा है। सलकनपुर धाम में नवरात्रि के समय बहुत भीड़ होती है जब हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते है। माता के दर्शन की एक झलक के लिए भक्त नवरात्री के अवसर पर दूर-दूर से पैदल चलकर आते हैं।
मां पीतांबरा पीठ, दतिया
मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा पीठ देश के लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि मां पीतांबरा राजा और रंक सभी पर एक समान कृपा बरसाती हैं। बताया जाता है कि 1935 में परम तेजस्वी स्वामी जी ने इस सिद्धपीठ की स्थापना की थी। यहां मां पीतांबरा चतुर्भुज रुप में विराजमान हैं। उनके एक हाथ में गदा, दूसरे में पाश, तीसरे में वज्र और चौथे हाथ में राक्षस की जिह्वा है। मां पीतांबरा को शुत्रु नाथ की अधिष्ठात्री देवी और राजसत्ता की देवी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां पीतांबरा में विधि-विधान से किया गया अनुष्ठान मनोकामना पूरी करता है।
देवास माता टेकरी
मध्यप्रदेश के देवास जिले की टेकरी पर स्थित मां भवानी का यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। लोक मान्यता है कि यहां देवी मां के दो स्वरूप अपनी जाग्रत अवस्था में हैं। इन दोनों स्वरूपों को छोटी मां और बड़ी मां के नाम से जाना जाता है। बड़ी मां को तुलजा भवानी और छोटी मां को चामुण्डा देवी का स्वरूप माना गया है।
कंकाली देवी मंदिर, शहडोल
शहडोल जिले का मां कंकाली देवी मंदिर देशभर के लोगों की आस्था का केन्द्र है। 10-11वीं शताब्दी का बना मां कंकाली देवी के इस मंदिर में श्रीफल (नारियल) की भेंट से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। यहां मनोकामना लेकर आने वाले श्रद्धालु नारियल को लाल कपड़े में बांधकर मन्नत कर उसे मंदिर में बांध देते हैं तो उनकी हर मनोकामना मां कंकाली पूरी करती हैं। सच्ची आस्था और एक श्रीफल मनुष्य के जीवन से पूरे कष्ट को दर कर देता है।
मां हरसिद्धि, आगरमालवा
आगर मालवा जिले के बीजा नगरी स्थित मां हरसिद्धि के चमत्कारी मंदिर की महिला भी भक्तों को दूर-दूर से यहां पर खींच कर लाती है। मां हरसिद्धि का यह मंदिर मध्यप्रदेश के प्रमुख चमत्कारी मंदिरों में से एक है। यहां लगभग 2 हजार वर्षो से अखंड ज्योत जल रही है। यहां विराजित मां हरसिद्धि दिन भर में तीन रूप में दिखाई देती है। मंदिर का निर्माण उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के भांजे वियजसिंह ने करवाया था। मां हरसिद्धि मंदिर को लेकर मान्यता है कि जब वियजसिंह यहां के राजा थे तब वे माँ हरसिद्धि के अनन्य भक्त थे और प्रतिदिन माँ हरसिद्धि के दर्शन करने के लिए में उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर जाते थे। उनकी इस भक्ती को देखकर माँ हरसिद्धि ने राजा वियजसिंह को सपने में दर्शन देकर कहां की में तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हुईं और बीजा नगरी में ही मंदिर बनवाने और पूर्व दिशा में मंदिर का दरवाजा रखने को कहा। राजा वियजसिंह ने ऐसा ही किया एवं मंदिर निर्माण करवाया। जिसके बाद माता ने पुनः राजा को सपना दिया और कहा कि में तुम्हारे बनाए हुए मंदिर में विराजमान हो गई हूं। तुमने मंदिर का दरवाजा पूर्व में रखा था अब वह पश्चिम में हो गया है। राजा जब सुबह उठकर मंदिर पहुंचा तो उसने देखा की मंदिर का दरवाजा पश्चिम में हो गया था। यहां हर मन्नत पूरी होती है। मन्नत लेने वाले श्रृद्धालु गोबर से उल्टा स्वास्तिक मंदिर पर बनाते है और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो पुनः मंदिर में आकर सीधा स्वास्तिक बनाते हैं।
कालिका माता मंदिर, रतलाम
देवी कालिका का प्रसिद्ध कालिका माता मंदिर मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में स्थित है। यह बहुत ही चमत्कारिक मंदिर है ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में माता कालिका की मूर्ति के सामने खड़े होने पर शरीर में विशेष उर्जा का संचयन होता है। यह मंदिर सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है।
हरसिद्धी माता मंदिर, रानगिर, सागर
सागर के सिद्धक्षेत्र रानगिर में विराजित हरसिद्धि माता बुंदेलखण्ड के लाखों कुल कुटंब की कुलदेवी के रूप में पूजी जाती है। माता के दरबार में नवरात्रि में देशभर से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। अंबे मां के दरबार में संतान, विवाह, गृह, नौकरी, व्यापार समेत सुख शांति समृद्धि की कामना करते हैं। मन्नतें पूरी होने की खुशी में भी श्रृद्धालुजन दरबार में माथा टेकते हैं। रानगिर में हरसिद्धी माता मंदिर का निर्माण मराठा शासन काल में हुआ था। इतिहास के पन्नों को देखें तो मिलता है कि 1732 में सागर प्रदेश पर मराठों की सत्ता थी। पंडित गोविंद राव का शासन था। नदी के किनारे हरसिद्धी माता का मंदिर निर्माण किया गया। हरसिद्धी भावार्थ में पार्वती देवी है। हर यानी महादेव, सिद्ध यानी प्राप्त तथा अष्ट सिद्धी नव रिद्धी भी कही गई हैं। मां हरसिद्धी सुबह कन्या,दोपहर में युवावस्था और संध्याकालीन वेला में वृद्ध स्वरूप में दर्शन देतीं हैं।