सनातन परम्परा के अनुसार वैकुण्ठ चतुर्दर्शी के दिन भगवान महादेव, भगवान के विष्णु को सत्ता की बागडोर सौंपते हैं। इसी परम्परा का निर्वाह करते हुए वैकुण्ठ चतुदर्शी पर भगवान मुक्तेश्वर महाकाल भगवान विष्णु को सत्ता की बागडोर सौंपने नगर भ्रमण करते हुए देर शाम को श्रीजी मंदिर पहुंचे। इस मौके पर हरि हर मिलन हुआ और परम्परानुसार मुक्तेश्वर महाकाल ने भगवान विष्णु को सत्ता की बागडोर सौंपी।
चांदी के रथ में सवार हुए मुक्तेश्वर
शिव शृंगार उत्सव समिति की ओर से छोला विश्राम घाट से महाकाल की सवारी निकाली। इसमें चांदी के रथ पर मुक्तेश्वर महाकाल विराजमान थे। बस स्टैंड, हनुमान, लोहा बाजार, सराफा चौक होते हुए सवारी देर शाम को श्रीजी मंदिर पहुंची। मंदिर के गोपाल पुरोहित ने बताया कि इस मौके पर हरि और हर का मिलन हुआ और सत्ता सौंपने की लीला की गई। इसके बाद सवारी वापस विभिन्न मार्गों से होते हुए विश्राम घाट पहुंची।
शिव शृंगार उत्सव समिति की ओर से छोला विश्राम घाट से महाकाल की सवारी निकाली। इसमें चांदी के रथ पर मुक्तेश्वर महाकाल विराजमान थे। बस स्टैंड, हनुमान, लोहा बाजार, सराफा चौक होते हुए सवारी देर शाम को श्रीजी मंदिर पहुंची। मंदिर के गोपाल पुरोहित ने बताया कि इस मौके पर हरि और हर का मिलन हुआ और सत्ता सौंपने की लीला की गई। इसके बाद सवारी वापस विभिन्न मार्गों से होते हुए विश्राम घाट पहुंची।
शीतलदास की बगिया सहित शहर के अन्य तालाबों में हुआ दीपदान
वैकुण्ठ चतुर्दर्शी पर दीपदान का विशेष महत्व है। इस पर्व पर शहर के तालाबों में अनेक श्रद्धालुओं ने दीपदान किया और देव आराधना की। शहर के शीतलदास की बगिया, शाहपुरा तालाब सहित अन्य स्थानों पर दीपदान किया गया। इसी प्रकार बांके बिहारी मार्र्कंडेय मंदिर में भी महिलाओं ने दीपदान किया और विशेष पूजा अर्चना की। इस मौके पर भगवान का विशेष शृंगार भी किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
वैकुण्ठ चतुर्दर्शी पर दीपदान का विशेष महत्व है। इस पर्व पर शहर के तालाबों में अनेक श्रद्धालुओं ने दीपदान किया और देव आराधना की। शहर के शीतलदास की बगिया, शाहपुरा तालाब सहित अन्य स्थानों पर दीपदान किया गया। इसी प्रकार बांके बिहारी मार्र्कंडेय मंदिर में भी महिलाओं ने दीपदान किया और विशेष पूजा अर्चना की। इस मौके पर भगवान का विशेष शृंगार भी किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
श्रद्धालु सरोवर में करेंगे स्नान
कार्तिक पूर्णिमा का पर्व शुक्रवार को श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। इसी के साथ पवित्र कार्तिक माह का समापन भी होगा। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। इस पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र तीर्थ स्थलों पर पहुंचकर कार्तिक स्नान करते हैं और दान पुण्य करते हैं। राजधानी से बड़ी संख्या में श्रद्धालु होशंगाबाद में नर्मदा स्नान के लिए पहुंचेंगे, वहीं उज्जैन सहित अन्य तीर्थ स्थलों पर भी लोग पहुंचेंगे।
कार्तिक पूर्णिमा का पर्व शुक्रवार को श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। इसी के साथ पवित्र कार्तिक माह का समापन भी होगा। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। इस पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र तीर्थ स्थलों पर पहुंचकर कार्तिक स्नान करते हैं और दान पुण्य करते हैं। राजधानी से बड़ी संख्या में श्रद्धालु होशंगाबाद में नर्मदा स्नान के लिए पहुंचेंगे, वहीं उज्जैन सहित अन्य तीर्थ स्थलों पर भी लोग पहुंचेंगे।
चंद्रग्रहण आज, नहीं पड़ेगा कोई असर
कार्तिक पूर्णिमा के दिन शुक्रवार को चंद्रग्रहण भी रहेगा, लेकिन इस ग्रहण कोई असर नहीं होगा, क्योकि यह ग्रहण भारत के पूर्वोत्तर भाग में अति अल्प समय के लिए दिखाई देगा। मप्र अथवा भोपाल में भी यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा। यह ग्रहण विदेशों में दिखाई देगा। इसलिए हमारे यहां इसका कोई खास असर नहीं पड़ेगा।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन शुक्रवार को चंद्रग्रहण भी रहेगा, लेकिन इस ग्रहण कोई असर नहीं होगा, क्योकि यह ग्रहण भारत के पूर्वोत्तर भाग में अति अल्प समय के लिए दिखाई देगा। मप्र अथवा भोपाल में भी यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा। यह ग्रहण विदेशों में दिखाई देगा। इसलिए हमारे यहां इसका कोई खास असर नहीं पड़ेगा।