भोपाल

कैलाश पर्वत पर है शिवजी का घर, मध्यप्रदेश में है दूसरा घर, जानिए तथ्य

patrika.com आपको बता रहा है अनोखे शिवालयों के बारे में…। इस कड़ी में पेश है पचमढ़ी का जटाशंकर महादेव…।

भोपालApr 22, 2024 / 10:23 am

Manish Gite

महादेव का पहला घर कैलाश पर्वत माना जाता है। लेकिन, कम ही लोग जानते हैं कि उनका दूसरा घर भी है। यह घर मध्यप्रदेश की सतपुड़ा की वादियों में बसा है। भस्मासुर से बचने के लिए शिवजी ने सतपुड़ा की वादियों में शरण ली थी। काफी समय उन्होंने यहीं की वादियों में बिताया था। यहां उन्होंने अपनी जटाएं फैलाई थीं। यही जटाशंकर धाम लोगों की आस्था का केंद्र है।

 

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मध्यप्रदेश के सतपुड़ा के जंगलों में घिरे पचमढ़ी की वादियों में स्थित है जटाशंकर धाम। इसे शिवजी का दूसरा घर माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भस्मासुर से बचने के लिए भगवान भोलेनाथ ने पहले इटारसी के पास तिलक सिंदूर की पहाड़ियों में शरण ली थी, उसके बाद जटाशंकर आकर छुप गए थे। पचमढ़ी में शिवजी ने यहां अपनी विशालकाय जटाएं फैलाई थीं। यहां पर चारों तरफ चट्टानों का फैलाव देख किसी अद्भुत स्थान होने का अहसास होता है।

शिवजी का दूसरा घर है पचमढ़ी

पचमढ़ी को कैलाश पर्वत के बाद महादेव का दूसरा घर माना जाता है। भगवान शिव भस्मासुर से बचने के लिए जिन कंदराओं और खोहों में छुपे थे। वे सभी स्थान पचमढ़ी में हैं। वैसे तो पूरे सालभर यहां लोगों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन श्रावण में और शिवरात्रि के दौरान सैंकड़ों भक्त यहाँ पूजा करने के लिए आते हैं। हर साल यहां मेला भी लगता है।

 

जटाशंकर धाम में बरसों से रह रही सिंधु बाई कहती हैं कि वे शिवजी की भक्त हैं। कई सालों पहले वह चली आई थी। दिनरात जंगल में रहना और भक्ति करना ही सिंधुबाई का काम है। सिंधु बाई कहती है कि पौराणिक कथाओं में भी इसका उल्लेख मिलता है कि जब भस्मासुर शिवजी के पीछे पड़ गए थे उस समय शिवजी भागकर यही छुपे थे। पहाड़ों और चट्टानों के बीच बरगद के पेड़ों की झूलती शाखाएं देखकर लगता है कि शिवजी ने अपनी विशालकाय जटाएं फैला रखी हैं। इन्हीं कारणों से इस स्थान का नाम जटाशंकर पड़ा।

 

यह है विशेषता

पचमढ़ी शहर के भीतर जटाशंकर एक पवित्र एवं दर्शनी गुफा है। इसकी विशेषता यह है कि इस गुफा के ऊपर बिना किसी सहारे के एक झूलता हुआ विशाल शिलाखंड है। गुफा तक पहुंचने से पहले एक हनुमान मंदिर है जहां एक शिलाखंड खंड पर हनुमान जी की मूर्ति उकेरी गई है। जटाशंकर में एक प्राकृतिक शिवलिंग बना हुआ है।

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ऐसे पहुंच सकते हैं जटाशंकर

भोपाल से यह स्थान करीब 186 किलोमीटर दूर है। भोपाल, होशंगाबाद, इटारसी, छिंदवाड़ा और जबलपुर से सीधी बसें भी चलती हैं। इसके अलावा रेल मार्ग से जाने वालों के लिए पिपरिया रेलवे स्टेशन नजदीकी रेलवे स्टेशन है। पिपरिया रेलवे स्टेशन पर उतरने के बाद लोकल वाहन मिल जाते हैं। जो दो घंटे में पचमढ़ी पहुंचा देते हैं। इसके अलावा सबसे नजदीकी हवाई अड़्डा भोपाल और जबलपुर है।

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