scriptमैं बलि का बकरा नहीं, भाजपा खिसयानी बिल्ली : अरुण यादव | madhyapradesh-election: Arun Yadav's reply to BJP | Patrika News
भोपाल

मैं बलि का बकरा नहीं, भाजपा खिसयानी बिल्ली : अरुण यादव

पिछले पंद्रह सालों का पूरा हिसाब किताब लेकर जनता के बीच जाएगें….

भोपालNov 11, 2018 / 11:26 am

Amit Mishra

news

मैं बलि का बकरा नहीं, भाजपा खिसयानी बिल्ली : अरुण यादव

भोपाल। बुदनी से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा कि वे बलि का बकरा नहीं, बल्कि भाजपा खिसयानी बिल्ली है, जो खंबा नोंच रही है। यादव ने कहा कि वे सीएम को घेरने के लिए नहीं बल्कि उन्हें हराने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं।

सीएम के अरुण यादव के साथ हुए अन्याय के बयान पर उन्होंने कहा कि वे अपनी चिंता करें, मेरी चिंता करने के लिए कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं। यादव ने कहा कि मां नर्मदा के साथ जो छल हुआ है और पिछले पंद्रह सालों का पूरा हिसाब किताब लेकर जनता के बीच जा रहे हैं।

भाजपा के नेता हैं सामंती: सिंधिया
भाजपा के ‘माफ करो महाराज- अपना नेता शिवराज’ अभियान के जवाब में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि सामंती प्रवृत्ति के लोग तो भाजपा के कैंप में बैठे हैं। यदि मेरी पैदाइश, मेरा गुनाह है तो वो गुनाह कुबूल है और मुझे अपने परिवार पर गर्व है, जिस परिवार के बारे में वो कह रहे हैं उसी परिवार से दादी राजमाता सिंधिया आती हैं, जिन्होंने भाजपा को फर्श से अर्श तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है, मेरी बुआ कैबिनेट मंत्री हैं, दूसरी बुआ राजस्थान में मुख्यमंत्री हैं, तब भाजपा ये बातें क्यों नहीं करती।

युवा- किसान कार्ड का तोड़ निकालने में जुटी भाजपा
उधर कांग्रेस का वचन पत्र सामने आने के बाद भाजपा अपने दृष्टि पत्र में उसकी घोषणाओं का तोड़ निकालने में जुट गई है। शनिवार देर शाम सीएम हाउस में सीएम शिवराज सिंह चौहान, अध्यक्ष राकेश सिंह, चुनाव प्रभारी धर्मेद्र प्रधान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और संगठन महामंत्री सुहास भगत ने मंथन किया। इसके पहले दृष्टि पत्र समिति पार्टी के घोषणा पत्र का फाइनल ड्राफ्ट बनाकर मुख्यमंत्री को सौंप चुकी है।

अज़हर हाशमी रतलाम व्यंग्य….

चुनाव, नेता, पार्टी और तेल

चुनाव तिथियों की घोषणा होते ही मतदाता का मन खिल उठता है। नेता का दिल हिल जाता है। उम्मीदवार पार्टी पर पिल जाता है। व्यंग्य लेखक को लिखने के लिए मुद्दा मिल जाता है। अभी तक तो यही देखा था कि पार्टी यानी दल ही नेता की नैया खेता है, परन्तु पिछले दिनों सुना कि नेता भी पार्टी को तेल लेने भेज देता है। यह स्तंभकार सोच रहा है कि नेता ने पार्टी गई तेल लेने कहकर सियासत में नवाचार के द्वार खोल दिए हैं।

नेता अब पार्टी को तेल लेने से जोड़ता है तो उसे रियल रिसर्च की ओर मोड़ता है। इस स्तंभकार ने नेता के कथन (पार्टी गई तेल लेने) पर जो रियल रिसर्च की है, उसका सार अर्थात् शोध निष्कर्ष इस प्रकार है।

एक तो यह कि तेल से गरीब के घर का दीया जलता है और दिवाली का दीया भी। तात्पर्य यह कि तेल लेने पर पार्टी दीए से जुड़कर गरीब के भी करीब हो जाती है और पार्टी की दिवाली भी हो जाती है।


दूसरा यह है कि इससे लोगों के बीच स्वास्थ्य जागरूकता का संदेश भी जाएगा। इसको यूं समझिए, अच्छे स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद में स्नान के पूर्व तेल अभ्यंग (तेल मालिश) को बहुत महत्व दिया गया है।


पार्टी गई तेल लेने, ऐसा कहकर लोगों को यह समझाया जा सकता है कि पार्टी को आमजन के स्वास्थ्य की चिंता है। प्रत्येक व्यक्ति को मालिश के लिए तेल मिल सके, इसलिए पार्टी गई तेल लेने।

तीसरा यह कि तेल लेने गई पार्टी को जब तेल लेने में कठिनाई आएगी तो वह इससे मुक्ति पाने तह में जाएगी। फिर उपायों पर सर्वे, सेमिनार कराएगी। तेल की प्राप्ति में समस्या के समाधान सुझाएगी।


चौथा यह कि तेल लेने गई पार्टी, तेल का महत्व यह कहकर बताएगी कि तेलंगाना (जहां राजस्थान के साथ ही विधानसभा चुनाव होने हैं) प्रांत के नाम मे ‘तेल’ पहले आता है और गाना बाद में। तेल की इस अहमियत की वजह से ही पार्टी गई तेल लेने।


पांचवां यह कि इससे लोगों के लिए सब्र और आशा का संदेश निहित है अर्थात् पार्टी गई तेल लेने, इसलिए सब्र रखिए। चूंकि तेल लेने गई है इसलिए तेल लेकर लौटेगी, यह आशा बनाए रखिए।


आखिरी निष्कर्ष यह कि ये पब्लिक है, सब जानती है। और अंत में यक्ष प्रश्न –
यक्ष- पार्टी गई तेल लेने, क्यों?
युधिष्ठिर- पकौड़े तल सके, इसलिए।
यक्ष- दारू लेने क्यों नहीं गर्ई?
युधिष्ठिर- दारू पर आचार-संहिता लगी है।

Hindi News / Bhopal / मैं बलि का बकरा नहीं, भाजपा खिसयानी बिल्ली : अरुण यादव

ट्रेंडिंग वीडियो