मैदान में पांच चुनौतियां
नए शहर में पक्ष में वोटिंग। सर्वमान्य नेता के तौर पर मतदाताओं में जाना। पुराने शहर में अधोसंरचना विकास की कमजोर स्थिति। अरेरा से एमपी नगर तक बूथ लेवल पर कांग्रेस के कार्यकर्ता की कमी। विपरित विचारधारा वालों का साथ।
खास-खास बातें
राजनीतिक करियर: 2001 में युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष बने। 2013 में विधानसभा चुनाव लड़े। 2018 में फिर चुनाव लड़े और विधायक बने।
टिकट क्यों : कांग्रेस के सक्रिय नेता है। पंद्रह साल से एक ही विधानसभा में मेहनत कर रहे। मौजूदा विधायक है। पांच साल में सभी वर्गों को साधने की कोशिश की। इसी बल पर चुनावी मैदान में।
किस गुट से : दिग्विजयसिंह के साथ सुरेेश पचौरी और कमलनाथ से बेहतर तालमाल है सभी से सामंजस्य बनाए हुए हैं।
टिकट के बाद विपक्ष
5 साल में मतदाता समझ गए कि बोर्ड लगाने से विकास नहीं होता। पूरी विधानसभा भाजपा के साथ है।
– ध्रुवनारायण सिंह, भाजपा प्रत्याशी
टिकट के बाद यह बोले
मैं इंसानियत और विकास पर बात करता हूं। जहां मेरी जरूरत होती है मैं जरूर जाता हूं। लोगों से पूछेंगे तो पता चलेगा।
-आरिफ मसूद, विधायक