यह होंगे लाभ
-नियामक ढांचे सरल, व्यापार व व्यक्तियों के लिए पालन आसान।-अदालतों का भी बोझ घटेगा
-निवेश बढ़ाने के लिए बिजनेस फ्रेंडली माहौल बनेगा, उद्यम को बढ़ावा, आर्थिक विकास।
-शास्तियों को उचित, अनुपातिक और प्रभावी बनाने तर्कसंगत बनाएंगे।
-नियमों-कानूनों के पालन और प्रवर्तन प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करने से प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी।
यह हुए संशोधन
- सहकारिता सोसायटी अधिनियम में संशोधन कर सोसायटी के सदस्यों की अनियमितताओं के लिए अब 25 हजार तक की पेनाल्टी रजिस्ट्रार लगा सकेंगे। यह केस कोर्ट में नहीं जाएंगे। पहले 50 हजार रुपए तक जुर्माना था।
- बिना अनुमति नगरीय क्षेत्र में भूस्वामी की अनुमति के बिना दीवार लेखन या पर्चा चस्पा किया तो अब पांच हजार रुपये अर्थदंड लगेगा।
- विद्युत शुल्क अधिनियम के तहत कैप्टिव पावर प्लांट लगाने वाले व्यक्तियों को उत्पादन और खपत का लेखा-जोखा रखना होता है और इसका लेखा-जोखा प्रस्तुत नहीं करने पर पांच हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान था। इसे अब पांच हजार रुपये पेनाल्टी कर दिया है।
- नगर पालिक निगम अधिनियम में यह संशोधन किया है कि पानी की नाली या सड़क को अपने उपयोग के लिए क्षतिग्रस्त किया या फिर निजी भूमि पर मार्ग के लिए चूने की लाइन डालकर प्लाटिंग की जाती है तो अर्थदंड पांच सौ के स्थान पर पांच हजार रुपये लगेगा।
- नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम की उस धारा को हटाया गया है जिसके तहत किसी भूमि या भवन में अधिकारी के प्रवेश को रोकने पर 3 महीने तक के सादा कारावास की सजा का प्रावधान था।
इन आठ कानूनों में किए संशोधन
– मप्र नगरपालिक निगम अधिनियम 1956– मप्र नगरपालिका अधिनियम 1961
– मप्र नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973
– मप्र विद्युत शुल्क अधिनियम 2012
– मप्र सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960
– मप्र असंगठित कर्मकार कल्याण अधिनियम 2003
– मप्र औद्योगिक संबंध अधिनियम 1960
– मप्र सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1973