पुलिसकर्मियों का कहना है कि 42 डिग्री सेल्सियस तापमान में ड्यूटी करने वाले मैदानी कर्मचारियों का दर्द एसी ऑफिस-कार में रहने-घूमने वाले अधिकारियों को नहीं दिखता। यही वजह है कि ड्यूटी का हुक्म तो दे दिया जाता है, लेकिन गर्मी से बचाने के लिए कोई व्यवस्था विभाग, अधिकारियों की तरफ से नहीं की जाती। करीब 15 प्रमुख तिराहे-चौराहों पर यही हालात हैं।
337 ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की हर रोज ट्रैफिक मैनेजमेंट के अलग-अलग तिराहे-चौराहे पर ड्यूटी लगाई जाती है।
छतरी, पानी, मास्क तक नहीं
तिराहे-चौराहे पर पुलिस के लिए निर्धारित प्वाइंट पर छतरी, पानी की व्यवस्था अब तक नहीं की गई। पुलिसकर्मी बिना मास्क-इयर प्लग के प्वाइंट पर तैनात होने को मजबूर हैं। पानी तक उन्हें खरीदकर पीना पड़ता है। मैदानी अमले का कहना है कि विभाग को अलग से बजट आता है, जिसे अधिकारी अपने हित से जुड़े काम में खर्च कर देते हैं।
बीमारियों का खतरा
मेडिसिन एक्सपर्ट डॉक्टर आदर्श वाजपेयी का कहना है कि ज्यादातर तेज धूप और धूल-धुएं में खड़े रहने से बहरापन, सांस की बीमारी के साथ फेफडों की समस्याएं बढ़
जाती हैं।
पुलिसकर्मियों को इसके लिए हर साल करीब साढ़े तीन हजार रुपए भत्ता मिलता है। यह भत्ता वर्दी, सुरक्षा उपकरण के लिए ही दिया जाता है। अलग से बजट का प्रावधान नहीं है।
– प्रदीप सिंह चौहान, एएसपी, ट्रैफिक
व्यवस्था के लिए ट्रैफिक पुलिस अलग से प्रस्ताव तैयार कर मुख्यालय को भेजती है। प्रस्ताव स्वीकार होने के बाद ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के लिए जरूरी व्यवस्था की जाती है।
– विजय दुबे, आरआई