भोपाल। मध्यप्रदेश के छोटे से गांव के दो खिलाड़ियों ने टोक्यो तक उड़ान भरी है, वे टोक्यो ओलंपिक (Olympic Games Tokyo 2021) में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। निशानेबाजी के एक खिलाड़ी हैं ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर, दूसरे हैं हाकी टीम में शामिल विवेक सागर। दोनों ही खिलाड़ियों को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को शुभकामनाएं दी हैं और आशा व्यक्त की है कि यह दोनों खिलाड़ी देश का नाम रोशन करेंगे और प्रदेश को नई पहचान दिलाएंगे।
मध्यप्रदेश के खरगौन जिले के रतनपुर के खिलाड़ी हैं ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर (aishwarya pratap singh tomar) जो निशानेबाजी में विश्व के नंबर वन खिलाड़ी को हरा चुके हैं। वहीं इटारसी तहसील के ग्राम चांदोन के विवेक सागर (vivek sagar) हाकी टीम को मैन आफ द सिरीज दिला चुके हैं।
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नई दिल्ली में हुई इंटरनेशनल शूटिंग में सभी को इस शख्स ने चौंका दिया था। 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन इवेंट में गोल्ड मेडल हासिल करते हुए दुनिया के नंबर वन हंगरी के इस्त्वान पेनी को हरा दिया था। ऐश्वर्य प्रताप सिंह का शूटिंग विश्व कप में यह पहला गोल्ड मेडल था। खरगौन के ऐश्वर्य अब टोक्यो 2021 ओलंपिक में पहुंच चुके हैं। ऐश्वर्य झिरनिया तहसील के रतनपुर गांव के रहने वाले हैं। अपने समय के कबड्डी खिलाड़ी रहे उनके पिता बहादुर सिंह तोमर एक किसान हैं और माता हेमा तोमर घर संभालती हैं। 9वीं तक पढ़ाई के बाद मप्र शूटिंग एकादमी में चयन हो गया। एकलव्य अवार्ड प्राप्त ऐश्वर्य फिलहाल जूनियर वर्ल्ड चैम्पियन हैं। दुनिया में शूटिंग की रेकिंग के मामले में दूसरे स्थान पर हैं। टोक्यो ओलम्पिक में सीनियर क्षेत्र में 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में गोल्ड हासिल करना ऐश्वर का लक्ष्य है। अपनी बहन की शादि छोडकर इन दिनों यूरोप के क्रोएशिया में ओलम्पिक की तैयारी में जुटे हुए है। ऐश्वर्य के पिता बताते हैं कि बचपन से ही राजपूत समाज का होने की वजह से बन्दूक घर पर ही ऐश्वर्य ने देखी। मेले में गुब्बारे फोड़ने के शौक ने ऐश्वर्य को अपनी मंजिल दिखा दी।
होशंगाबाद के चांदौन गांव के रहने वाले विवेक सागर भी ऐसे खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने अपने ऊपर आई बाधा को हौंसले से पार कर लिया। साल 2015 में प्रैक्टिस के दौरान विवेक की गर्दन की हड्डी टूट गई थी। दवाइयों के हेवी डोज से आंतों में छेद हो गया। 22 दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझते रहे। आखिरकार जिंदगी का मैच जीत लिया। इसके बाद जूनियर हॉकी टीम की मलेशिया में कप्तानी की और मैन ऑफ द सीरीज पर कब्जा जमा लिया। विवेक ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि यहां सीनियरों को हॉकी खेलते देखकर ही हॉकी के प्रति लगाव बढ़ा। इसके बाद सीनियरों से हॉकी स्टिक और दोस्तों से शूज मांगकर मिट्टी वाले ग्राउंड में प्रैक्टिस की।
ध्यानचंद की नजर पड़ी
12 वर्ष की उम्र में विवेक अकोला में एक टूर्नामेंट खेल रहे थे। तभी मशहूर हाकी खिलाड़ी अशोक ध्यानचंद की नजर पड़ी और विवेक की प्रतिमा को पहचान लिया। ध्यानचंद ने विवेक का नाम पता लिया और फिर अपने पास एकेडमी में बुला लिया। विवेक ने बताया कि कुछ दिनों तक उन्होंने अपने घर में ही ठहराया था। विवेक के पिता रोहित प्रसाद सरकारी प्राइमरी स्कूल गजपुर में शिक्षक हैं। मां कमला देवी गृहिणी और बड़ा भाई विद्या सागर सॉफ्टवेयर इजीनियर है। इसके अलावा दो बहनें पूनम और पूजा हैं। पूनम की शादी हो चुकी है और पूजा पढ़ाई कर रही है।