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भोपाल

मप्र स्थापना दिवस: ऐसे हुआ मध्यप्रदेश का निर्माण, MP के अस्तित्व के ये रोचक किस्से नहीं जानते होंगे आप

यहां हम आपको प्रदेश की स्थापना से जुड़ीं खास जानकारियां दे रहे हैं…

भोपालOct 29, 2019 / 02:16 pm

Astha Awasthi

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madhya pradesh history

भोपाल। 1 नवंबर यानी शुक्रवार को पूरा मध्यप्रदेश अपने स्थापना दिवस के रंग में रंगा नजर आएगा। खासतौर पर प्रदेश की राजधानी भोपाल में इसका अलग ही रंग दिखेगा। इस बार राजधानी के लाल परेड ग्राउंड में होने वाले राज्य स्तरीय समारोह के पहले दिन मुंबई के अमित त्रिवेदी के गानों से शाम सजेगी। साथ ही नई दिल्ली के गुलाम साबिर निजामी बन्धुओं की सूफी कव्वाली भी होगी। वहीं प्रदेशभर में अलग-अलग अंदाज में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर जेहन में यह सवाल आ रहा है कि आखिर किन कारणों से मध्यप्रदेश अस्तित्व में आया। इस मौके पर आज patrika.com आपको कई महत्वपूर्ण और रोचक जानकारियां बताने जा रहा है…..

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मध्य प्रदेश के प्रथम राज्यपाल डॉ. पट्टाभि सीतारमैया 1 नवंबर, 1956 लाल परेड ग्राउंड पर सलामी लेते हुए।

 

मध्यप्रदेश शुक्रवार को 64वें वर्ष में प्रवेश कर जाएगा।

मध्य प्रदेश 1 नवंबर, 2000 तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था।

इस दिन मध्यप्रदेश राज्य से १४ जिले अलग कर छत्तीसगढ़ राज्य छत्तीसगढ़ की स्थापना हुई थी।

मध्य प्रदेश की सीमाऐं पांच राज्यों की सीमाओं से मिलती है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान है।

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मध्य प्रदेश की पहली मंत्रिपरिषद लाल परेड मैदान पर कार्यक्रम में. चित्र में प्रथम पंक्ति में दायें से बायें रानी पदमावती देवी और मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल।

 

1956 में अस्तित्व में आए इस प्रदेश को पहले मध्य भारत कहकर संबोधित किया जाता था।

इसका पुनर्गठन भाषायी आधार पर हुआ।

15 अगस्त, 1947 के पूर्व देश में कई छोटी-बड़ी रियासतें और देशी राज्य अस्तित्व में थे।

आजादी के बाद उन्हें स्वतंत्र भारत में सम्मिलित और एकीकृत किया गया।

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1 नव‍ंबर,1956 को मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर पं.रविशंकर शुक्ल का पहला भाषण लाल परेड ग्राउंड पर हुआ था।

 

26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने के बाद देश में सन् 1952 में पहले आम चुनाव हुए, जिसके कारण संसद एवं विधान मण्डल कार्यशील हुए।

प्रशासनिक दृष्टि से इन्हें श्रेणियों में विभाजित किया गया था।

सन् 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के फलस्वरूप 1 नवंबर, 1956 को नया राज्य मध्यप्रदेश अस्तित्व में आया।

इसके घटक राज्य मध्यप्रदेश, मध्यभारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल थे, जिनकी अपनी विधान सभाएं थीं।

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31 अक्टूबर रात 12 बजे राज्यपाल डॉ. पट्टाभि सीतारमैया को शपथ दिलाते हुए जस्टिस हिदायतउल्लाह।

 

डॉ. पटटाभि सीतारामैया मध्यप्रदेश के पहले राज्यपाल हुए।

जबकि पहले मुख्यमंत्री के रूप में पं रविशंकर शुक्ल ने शपथ ली थी।

वहीं पं कुंजी लाल दुबे को मध्यप्रदेश का पहला अध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त हुआ।

ग्वालियर या जबलपुर बनते राजधानी

राजधानी के लिए दावा ग्वालियर के साथ इंदौर का था।

यही नहीं जबलपुर भी नए राज्य की राजधानी का दावा करने लगा।

दूसरी ओर भोपाल के नवाब भारत के साथ संबंध ही नहीं रखना चाहते थे।

वे हैदराबाद के निजाम के साथ मिलकर भारत का विरोध कर रहे थे।

क्रेंद्र सरकार नहीं चाहती थी कि देश के हृदय स्थल में राष्ट्र विरोधी गतिविधियां बढ़ें।

इसके चलते सरदार पटेल ने भोपाल पर पूरी नजर रखने के लिए उसे ही मध्यप्रदेश की राजधानी बनाने का निर्णय लिया।

तब भोपाल को बनाया राजधानी

1 नवंबर 1956 को प्रदेश के गठन के साथ ही इसकी राजधानी और विधानसभा का चयन भी कर लिया गया।

मध्यप्रदेश की राजधानी के रूप में भोपाल को चुना गया।

इस राज्य का निर्माण तात्कालीन सीपी एंड बरार, मध्य भारत, विंध्यप्रदेश, और भोपाल राज्य को मिलाकर हुआ।

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भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी बनाये जाने की घोषणा के बाद नई दिल्ली से लौटे डॉ. शंकर दयाल शर्मा का भोपाल रेलवे स्टेशन पर शानदार स्वागत किया गया था।

 

कहा जाता है कि भोपाल को राजधानी बनाए जाने में तात्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. शंकर दयाल शर्मा के साथ ही भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्ला खां और पं. जवाहर लाल नेहरू की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

कई लोगों का यहां तक मानना है कि जवाहरलाल नेहरू इसे देश की राजधानी बनाना चाहते थे।

राजधानी बनाए जाने के बाद 1972 में भोपाल को एक जिले का तमगा मिला।

अपने गठन के वक्त मध्यप्रदेश में कुल 43 जिले थे।

आज मध्यप्रदेश में 52 जिले हैं।

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