मध्यप्रदेश के 7.50 लाख कर्मचारी एवं 4.50 लाख सेवानिवृत्त कर्मचारी महंगाई भत्ता और मंहगाई राहत न मिलने से परेशान हैं, क्योंकि बढ़ती हुई महंगाई में उन्हें अपना जीवन जीने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सर्वे में सब्जियों के दाम 60%, दाल अन्य चीजों के दाम 20% बढ़े हुए बताए गए हैं, वहीं कर्मचारियों को 4% महंगाई भत्ता और महंगाई राहत अब तक नहीं मिली है। सेवानिवृत कर्मचारियों को ज्यादा परेशानी हो रही है, क्योंकि उनके लिए वृद्धावस्था में कई प्रकार की बीमारी में भी खर्च बढ़ जाता है।
यह बात मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने कही। तिवारी ने कहा कि अब हम आंदोलन की राह पर जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में नई सरकार के खिलाफ यह लाखों कर्मचारियों का पहला आंदोलन है। हम केंद्र सरकार के कर्मचारियों से पिछड़ते जा रहे हैं। यह आंदोलन 9 फरवरी को किया जा रहा है। इसमें प्रदेश के 12 लाख कर्मचारियों की मांगें उठाई जाएंगी। इसमें महंगाई भत्ता, महंगाई राहत, वाहन भत्ता और मकान किराया बढ़ाने की मांग प्रमुख है।
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तिवारी ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से जुलाई 23 से 4% महंगाई भत्ता और महंगाई राहत दे दी गई है। लेकिन, मध्यप्रदेश सरकार की ओर से कई बार केंद्रीय तिथि और केंद्रीय दर से महंगाई भत्ता (dearness allowance) और महंगाई राहत (dearness relief) देने की घोषणा के बावजूद नहीं दिया जा रहा है। वर्तमान में केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को 50 फीसदी महंगाई भत्ता करने वाली है, जो 1 जनवरी से दिया जाएगा, लेकिन मध्यप्रदेश के कर्मचारियों को फिलहाल 42 फीसदी ही महंगाई भत्ता मिल रहा है।
आचार संहिता में लटक जाएगा मुद्दा
कर्मचारियों ने कहा है कि अगले कुछ दिनों में लोकसभा चुनाव की घोषणा हो जाएगी और आचार संहिता के नाम पर इस मुद्दे को लटका दिया जाएगा। जबकि आचार संहिता में छत्तीसगढ़ और राजस्थान द्वारा जुलाई 2023 से 4% महंगाई भत्ता प्रदान कर दिया गया है। कर्मचारी संगठनों द्वारा लगातार मांग करने के बाद भी सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया या आश्वासन नहीं मिल रहा है, इसे लेकर अब आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।
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9 फरवरी को होगा बड़ा आंदोलन
मध्यप्रदेश के तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने बताया कि महंगाई भत्ता/ राहत, वाहन भत्ता मकान किराया वृद्धि को लेकर 9 फरवरी 2024 शुक्रवार को दोपहर 1.30 बजे राज्य मंत्रालय पर तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ द्वारा प्रदर्शन किया जाएगा। तिवारी द्वारा ने बताया कि संघ के प्रदेश अध्यक्ष अतुल मिश्रा कार्यकारी अध्यक्ष एस एस रजक, भोपाल जिला अध्यक्ष मोहन अय्यर, प्रदेश पदाधिकारी मोहम्मद सलीम, एसएल पंजवानी, आशुतोष शुक्ला, जयविंद सोलंकी, अरुण भार्गव, आरिफ अली, दामोदर आर्य, राजकुमार चौरसिया, अवतार सिंह, ओपी सोनी, मोहन सिंह कुशवाहा, संजय लाड़, पारस पीटर आदि नेताओं ने सरकार द्वारा कर्मचारियों की न्यायोचित मांगों की अनदेखी करने पर रोष व्यक्त करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव से कर्मचारियों की मांगों पर तत्काल निर्णय लेने की अपील की है। कर्मचारी नेताओं ने कहा है कि इस भीषण महंगाई में कर्मचारियों एवं सेवानिवृत कर्मचारियों को हितों की रक्षा करना सरकार का पहला दायित्व है।
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इधर, मध्यप्रदेश में महंगाई भत्ता बढ़ाने की मांग कर रहे सरकारी कर्मचारियों के समर्थन में पूर्व सीएम कमलनाथ (kamal nath) भी आ गए हैं, कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा है कि मध्य प्रदेश सरकार का कर्मचारी विरोधी रवैया एक बार फिर सामने आ रहा है। मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारी लंबे समय से केंद्र के बराबर 46% महंगाई भत्ता देने की मांग कर रहे हैं। मैं उनकी मांग का समर्थन करता हूं। विधानसभा चुनाव की वोटिंग से पहले भाजपा सरकार ने चुनाव आयोग से अनुमति मांगी थी कि महंगाई भत्ता बढ़ा दिया जाए। भाजपा सरकार को अच्छी तरह पता था कि आचार संहिता के बीच में निर्वाचन आयोग ऐसा नहीं कर सकता। इसलिए भाजपा ने खुद को कर्मचारी हितैषी दिखाने के लिए यह पाखंड किया था। अब जब भाजपा की सरकार दोबारा बन गई है तो कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाने की फाइल ही आगे नहीं बढ़ रही। इससे पता चलता है कि भारतीय जनता पार्टी चुनाव के समय जनहित की बातें करती है और चुनाव जीतने के बाद सभी वर्गों को ताक पर रख देती है।मैं मुख्यमंत्री से अनुरोध करता हूं कि सरकारी कर्मचारियों के साथ छलावा करने की बजाय वह कर्मचारियों को उनका अधिकार दें और 46% महंगाई भत्ता देना सुनिश्चित करें।