सरकार ने सभी प्रत्येक कालेजों को बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग को तीन सौ से चार सौ करोड़ रूपए भी ट्रांसफर कर दिए हैं। इन कॉलेज की लिए जमीन उपलब्ध करा दी गई है। बताया जाता है कि बुधनी, उज्जैन, सिवनी, छतरपुर, दमोह जिले में मेडिकल कालेज राज्य सरकार अपने बजट से बना रही है। जबकि सतना, राजगढ़, मंडला, नीमच, मंदसौर श्योपुर सिंगरौली जिले में मेडिकल कालेज बनाने के लिए केन्द्र सरकार 60 और 40 फीसदी हिस्सा राज्य राशि देगी। ये सभी मेडिकल कालेज वर्ष 2025 तक बनकर तैयार हो जाएंगे और इनमें एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए प्रवेश भी शुरू हो जाएंगे। इसके पहले इन कालेजों के लिए शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी, जिससे एमसीआई इन्हें संचालित करने के लिए अनुमति दे सके।
रेफरल अस्पताल बनेंगे मेडिकल कालेज
सभी जिलों में जिला अस्पताल को रेफरल अस्पताल बनाया गया है, इन्हें ही मेडिकल कालेज बनाया जाएगा। चरणबद्ध तरीके से सरकार इन अस्पतालों को मेडिकल कालेज के रूप में तैयार करेगा। पहले चरण में बड़े और सुदूर जिलों में मेडिकल कालेज बनाया जाएगा। बताया जाता नर्मदापुरम जिले में भी मेडिकल कालेज खोलने की तैयारी की जा रही है।
एम्स सेंटर के रूप में इलाज करेंगे 4 मेडिकल काॅलेज
प्रदेश के रीवा, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर मेडिकल कालेज एम्स प्रतिनिधि के रुप में काम करेंगे। एम्स इन मेडिकल कालेजों को मरीजों के इलाज के कंसल्टेंट के साथ डाक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ के क्षमतावर्धन के साथ मेडिकल सपोर्ट भी करेंगे। केन्द्र सरकार ने यह व्यवस्था इसलिए की है, जिससे लोगों को एम्स तक आने की जरूरत न पड़े।
वर्तमान में एमबीबीएस की 2180 सीटें
प्रदेश में वर्तमान में 14 शासकीय कालेज हैं, जिनमें 2180 सौ एमबीबीएस की सीटें हैं। इसी तरह से 11 निजी मेडिकल कालेज हैं, जिनमें 1900 के करीब एमबीबीएस सीटें हैं। इस तरह से प्रदेश में करीब 4080 एमबीबीएस की हैं। उक्त सभी कालेज संचालित होने पर प्रदेश में सिर्फ शासकीय कालेजों में 42 सौ के आस पास सीटें बढ़ जाएंगी।
सभी जिलों में जिला अस्पताल को रेफरल अस्पताल बनाया गया है, इन्हें ही मेडिकल कालेज बनाया जाएगा। चरणबद्ध तरीके से सरकार इन अस्पतालों को मेडिकल कालेज के रूप में तैयार करेगा। पहले चरण में बड़े और सुदूर जिलों में मेडिकल कालेज बनाया जाएगा। बताया जाता नर्मदापुरम जिले में भी मेडिकल कालेज खोलने की तैयारी की जा रही है।
एम्स सेंटर के रूप में इलाज करेंगे 4 मेडिकल काॅलेज
प्रदेश के रीवा, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर मेडिकल कालेज एम्स प्रतिनिधि के रुप में काम करेंगे। एम्स इन मेडिकल कालेजों को मरीजों के इलाज के कंसल्टेंट के साथ डाक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ के क्षमतावर्धन के साथ मेडिकल सपोर्ट भी करेंगे। केन्द्र सरकार ने यह व्यवस्था इसलिए की है, जिससे लोगों को एम्स तक आने की जरूरत न पड़े।
वर्तमान में एमबीबीएस की 2180 सीटें
प्रदेश में वर्तमान में 14 शासकीय कालेज हैं, जिनमें 2180 सौ एमबीबीएस की सीटें हैं। इसी तरह से 11 निजी मेडिकल कालेज हैं, जिनमें 1900 के करीब एमबीबीएस सीटें हैं। इस तरह से प्रदेश में करीब 4080 एमबीबीएस की हैं। उक्त सभी कालेज संचालित होने पर प्रदेश में सिर्फ शासकीय कालेजों में 42 सौ के आस पास सीटें बढ़ जाएंगी।