लोकनृत्य और लोकसंगीत के रंग लोकजीवन के आधार होते हैं, जो उन्हीं में से मिलकर बने होते हैं…
•Feb 03, 2018 / 01:03 pm•
दीपेश तिवारी
यहां भीली जनजाति की अनूठी जल कथा 'पिथौरा' का मंचन किया गया। इस प्रदर्शन में लगभग दो सौ कलाकारों ने हिस्सा लिया। पिथौरा के सूत्रधार फिल्म कलाकार गोविन्द नामदेव थे उन्होंने 10 दृश्यों में आकर पूरी कथा को बयां की।
'उल्लास' में हुआ लघु फिल्मों का प्रदर्शन
लोकरंग में उल्लास शृंखला के प्रथम सत्र में नीना सबनानी निर्देशित दो लघु फिल्म 'मुकुंद और रियाज' और 'हम चित्र बनाते हैं' का प्रदर्शन किया गया। फिल्म प्रदर्शन के बाद नीना ने बच्चों को फिल्म से जुड़े सवालों के जवाब भी दिए। दूसरे सत्र में सुप्रसिद्ध चित्रकार अखिलेश वर्मा ने स्वयं के द्वारा बनाए हुए चित्रों को प्रदर्शित किया और बच्चों से मूर्त तथा अमूर्त चित्रों पर विस्तारपूर्वक बात की। इस अवसर पर बच्चों ने चित्र भी बनाए। मेला परिसर के बाह्य मंच पर राजस्थान से आए कलाकारों ने कठपुतली नृत्य की प्रस्तुति दी। 'उल्लास' में रविवार को फिल्म चरणदास चोर का प्रदर्शन होगा।
कार्यक्रम में हरचंदन सिंह भट्टी को वर्ष 2016 के कालिदास सम्मान (रुपंकर) से सम्मानित किया गया।
'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' अभियान की प्रस्तुति भी आमंत्रित
कार्यक्रम में बाद राजस्थान से आए कलाकारों ने "सपेरा", "भवई" और कालबेलिया नृत्य प्रस्तुत किया। इस दौरान उन्होंने हैरतअंगेज करतब दिखाए। फिर जम्मू -कश्मीर से आए कलाकारों ने रूफ नृत्य, सिकिक्म के कलाकारों ने मारुनी नृत्य प्रस्तुत किया। नागालैंड के कलाकारों द्वारा तीन परंपरागत नृत्य प्रस्तुत किए गए। यह प्रस्तुति भारत सरकार के "एक भारत - श्रेष्ठ भारत" सांस्कृतिक अभियान के अंतर्गत निमंत्रित की गई थी।
'धरोहर' और 'देशांतर' में दिखा देश-विदेश का नृत्य
शनिवार को लोकरंग का दूसरे दिन को मेला परिसर में देश-विदेश के कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक गतिविधियों एवं लोक परंपराओं के नाम रहा। शाम को "धरोहर" व "देशांतर" के अंतर्गत देश-विदेश से आए कलाकारों द्वारा लोक नृत्यों की प्रस्तुति दी गई। "धरोहर" का आरम्भ बघेलखंड के सीधी जिले के "घसिया बाजा" नृत्य से हुआ। वहीं महाराष्ट्र के कलाकारों द्वारा "धनगिरी गजा", छतीसगढ़ के कर्मा नृत्य, कोल कलाकारों ने "कोलदहका नृत्य" पेश किया।
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