भोपाल

राम आएंगे…की गायिका स्वाति मिश्रा के सुरों से सजेगा ‘लोकरंग’

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में विश्व प्रसिद्ध लोकरंग उत्सव शुरू हो गया। हर बार की तरह देशी-विदेशी कलाकार अपनी संस्कृति की झलक पेश करने यहां आए। 26 जनवरी से शुरू होने वाला मध्यप्रदेश का ये उत्सव 30 जनवरी यानी मंगलवार को संपन्न हो जाएगा। लेकिन आज की मंगलवार की ये शाम यहां आने वाले दर्शकों का मन जीत लेगी…

भोपालJan 30, 2024 / 07:46 am

Sanjana Kumar

दरअसल ‘राम आएंगे’ भजन गाकर चर्चा में आई गायिका स्वाति मिश्रा भोपाल आ रही हैं। वे आज लोकरंग उत्सव की खास मेहमान होंगी और इस राष्ट्रीय मंच पर अपनी गायिकी से समां बांधेंगी। आपको बता दें कि ये स्वाति मिश्रा वहीं हैं जिनके भजन राम आएंगे सुनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इनके मुरीद हो गए और माेदी ने ट्विट कर मधुर आवाज में राम भजन गाने पर बधाई दी थी। हालांकि बिहार की रहने वाली और मुंबई में संगीत की शिक्षा लेने वाली स्वाति मिश्रा भोजपुरी की मशहूर गायिका हैं।

महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर होता है लोकरंग का समापन

आपको बता दें कि हर साल आयोजित होने वाले इस राष्ट्रीय लोकरंग समारोह में 30 जनवरी कार्यक्रम का अंतिम दिन होता है। राष्ट्रपिता महात्मागांधी की पुण्यतिथि पर यह शाम गांधी को ही समर्पित होती है। इसीलिए ये शाम भजन, सूफी गायन, कव्वाली के सुरों से सजती है। कभी राग गीतों और तबलों की थाप पर थिरकती नजर आती है। लेकिन इस शाम की शुरुआत महात्मा गांधी की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर और उनके पसंदीदा भजन वैष्णव जन तो तेने कहिए से की जाती है।

ऋचा शर्मा और नूरा सिस्टर्स भी पहुंची हैं यहां

आपको बता दें कि यह 39वां राष्ट्रीय लोकरंग समारोह है। इससे पहले आयोजित लोकरंग उत्सव में कई महान शख्सियतों ने अपनी गायिकी से दर्शकों का मन जीता। इस राष्ट्रीय मंच पर आकर सूफी गायिकी से दर्शकों को अपना बनाने वाली ऋचा शर्मा भी खुद को सम्मानित महसूस करती हैं तो नूरा सिस्टर्स भी। इनके साथ ही कई मशहूर हस्तियां इस मंच से अपने जादुई सुर बिखेर चुकी हैं।

 

लोकरंग उत्सव 2024 ये भी जानें

– रवींद्र भवन परिसर में 26 जनवरी को राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने इसका उद्घाटन किया था।

– इस मौके पर मुख्यमंत्री मोहन यादव भी मौजूद थे।

– इस मौके पर संत शिरोमणि रविदास के जीवन, वाणी पर आधारित नृत्य नाटिका का प्रस्तुतिकरण किया गया।

– संस्कृति विभाग के इस समारोह में पारंपरिक लोक नृत्य, लोक गायन-वादन, स्थानीय शिल्प और देशी व्यंजन का स्वाद लेने लोग यहां पहुंचते हैं।

– कई राज्यों के ग्रामोद्योग में माटीकला की सामग्री, जूट, बैतबाँस, लकड़ी के फर्नीचर, चमड़े के बेग, बेल्ट, पर्स, विन्ध्यावैली ब्रांड की अगरबत्ती, शेम्पू और सेनेटाईजर, शुद्ध एवं प्राकृतिक मसाले, शहद, अचार, पापड़, आटा, बेसन, दलिया आदि भी यहां लाए गए हैं।

– कई राज्यों की साड़ियों के स्टाल लगे हैं, इसमें खादी वस्त्र, मलबरी सिल्क, मसलिन खादी, भागलपुरी सिल्क, मटका सिल्क, कोसा सिल्क की साडिय़ां एवं कपड़ा, शॉल, सूट एवं सभी प्रकार के खादी वस्त्र के रेडीमेड गारमेंट्स, लेडीज कुर्ते के स्टाल लगे हैं।

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