पश्चिम मध्य रेल संस्थान में सोमवार को रनिंग स्टाफ व उनके परिवार के सदस्यों के लिए एक सेमिनार आयोजित किया गया। जहां उन्होंने कार्य के दौरान आने वाली परेशानियों व परिवार को होने वाली दिक्कतों के बारे में बताया। इस दौरान डीआरएम उदय बोरवणकर, सीनियर डीएसओ रवीन्द्र शर्मा, सीनियर डीई टीआरडी संजय तिवारी, डीई टीआरओ दिलीप मीणा मौजूद रहे।
डीआरएम बोले- छुट्टी नहीं ले पाने पर मुझे अभी भी सुनने पड़ते हैं ताने
रनिंग स्टाफ के परिवार द्वारा जरूरत के वक्त उन्हें परिजनों को छुट्टी ना मिलने के सवाल पर डीआरएम ने कहा कि मुझे पता है कि इन छोटी-छोटी चीजों पर घर में बहुत क्लेश होता है। मुझे अभी भी ताने सुनने पड़ते हैं कि एक दिन की छुट्टी नहीं ले पाते हो? वहीं कार्य के घंटे निर्धारित नहीं होने के सवाल पर डीआरएम ने कहा कि कई बार मुझसे भी पूछा जाता है कि घर कब तक आएंगे? और मैं कहता हूं 15 मिनट लेकिन काम की वजह से दो घंटे बाद घर पहुंचता हूं। तब तक या तो खाना ठंडा हो गया होता है या फैमिली मेंबर सो गए होते हैं। डीआरएम ने कहा कि आप लोग जो कर रहे हैं वो बहुत ही स्पेशल काम है, आपको इस पर गर्व होना चाहिए। वहीं ऐसे कार्य करने वालों के घरवालों को भी थोड़ा कष्ट सहन करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
लोको पायलट को भुगतना पड़ा था खराब ब्रीथ एनालाइजर मशीन का खामियाजा
एक महिला लोको पायलट ने बताया कि, मुझे सुबह 6 बजे ब्रीथ एनलाइजर टेस्ट में फेल किया गया, मेडिकल के लिए रेलवे हॉस्पिटल भेजा तो वहां पुरुष डॉक्टर ने इस तरह के सवाल किए कि मैं आपको बता नहीं सकती। बाद में मुझे चार दिन घर पर बैठाया गया, बाद में मेरा मेंटली हैरसमेंट हुआ और चरित्र पर ऊंगली उठाई गई। बाद में पता चला कि मशीन खराब थी, इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
इसका जवाब देते हुए डीआरएम ने कहा कि हमने इस बारे में बहुत चर्चा की थी, यह बड़ा कष्टप्रद था, बाद में हमने ब्रीथ एनलाइजर टेस्ट वाली मशीनों को बदलवाया। इस वजह से आपको जो व्यक्तिगत रूप से तकलीफ हुई, उसके लिए मैं आपसे क्षमा चाहता हूं। ऐसा व्यवहार किसी के साथ नहीं होना चाहिए, आगे से इसका ध्यान रखा जाएगा।
परिजनों व रनिंग स्टाफ ने इस तरह के सवाल उठाए
– लोको पायलट के कार्य के कितने घंटे होते हैं? – गाड़ी शुरू करने से गाड़ी छोडऩे तक 9 से 11 घंटे की ड्यूटी निर्धारित हैं लेकिन कई बार यह समयाविध बढ़ जाती है। हम प्रयास कर रहे हैं कि लोको पायलट से नियमानुसार तय घंटे ड्यूटी कराई जाए।
– अगर रनिंग स्टाफ महिला है तो उनके पति की जिम्मेदारी बनती है कि उन्हें पूरा सपोर्ट करें और उन्हें घर पर 14 प्लस 2 घंटे का पूरा रेस्ट करने दें।
– हम स्टेशन के छोर पर बने शौचालयों को और Óयादा व्यवस्थित कर रहे हैं, और जहां शौचालय नहीं हैं वहां नए शौचालय का निर्माण करा रहे हैं।