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पिछले साल व्यापार के लिए भी नहीं लिया गया इतना लोन, जितना…
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी ताजा क्रेडिट रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के आंकड़ों की मानें तो, लॉकडाउन की तिमाही (अप्रैल-जून) में राजधानी भोपाल में नए कर्ज की वृद्धि दर अप्रत्याशित रूप से 20.77% रही। राजधानी की बैंकों से 11,828 करोड़ रुपए के कर्ज बांटे गए। ये वृद्धि दर पिछले साल की इस तिमाही से 2.74 गुना अधिक रही। पिछली अप्रैल से जून तक यह वृद्धि दर 8.37% ही रही थी और बैंकों ने 4304 करोड़ रुपए के कर्ज बांटे। पिछले साल का जो आंकड़ा दिखाई दे रहा है वो व्यापारियों द्वारा दिया गया बैंक लोन है, जो व्यापार की वृद्धि के लिए लिया जाता है। लॉकडाउन के कारण व्यापारियों ने लोन नहीं लिया। इंदौर की रिपोर्ट इसका समर्थन करती है।
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हजारों लोगों ने गोल्ड लोन और रिश्तेदारों से भी कर्ज मांगा
आंकड़े बताते हैं कि, देशभर की तरह भोपाल के लोगों के भी आर्थिक स्थिति खराब है। हजारों लोगों ने गहने बेचने के बजाय उन्हें गिरवी रखा और गोल्ड लोन लिया। जबकि, बड़ी संख्या उन लोगों की है, जिन्होंने अपने रिश्तेदारों से व्यक्तिगत स्तर पर कर्ज लिया है। इनमें सबसे ज्यादा संख्या मिडिल क्लास के लोगों की है। हालांकि, सरकार की ओर से इस वर्ग के लिए कोई योजना नहीं है।