गांव के बच्चों को एजुकेशन और रिसोर्सेस मिलें तो वे पूरे गांव को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं। यह बात देवास के विजयागंज मंडी गांव के 22 वर्षीय आशाराम चौधरी ने कही। वे पिछले दिनों भोपाल में राजभवन में हुए कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। उन्होंने भाई के साथ मिलकर गांव में पढ़ाई का माहौल बनाने बच्चों के लिए कोचिंग और लाइब्रेरी खोली है।
जोधपुर से ऑनलाइन बच्चों को पढ़ा रहे
आशाराम ने बताया कि लाइब्रेरी के लिए पूरे देश से कई लोगों ने अपनी किताबें डोनेट कीं। दो महीने में लाइब्रेरी में 500 से अधिक किताबें जमा हो गई हैं। कोचिंग में आशाराम के छोटे भाई सीताराम फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ्स पढ़ाते हैं जबकि वे खुद जोधपुर से ऑनलाइन जुडक़र बच्चों को बॉयोलॉजी विषय पढ़ाते हैं। ये सिलसिला निरंतर चल रहा है।
गांव में पढ़ाई का माहौल बनाना है
आशाराम अभी एम्स जोधपुर में इंटर्नशिप कर रहे हैं। इसके बाद वे सर्जरी में मास्टर्स करना चाहते हैं। वे अपने गांव से पहले डॉक्टर हैं लेकिन गांव में पढ़ाई का माहौल नहीं है। इसलिए यहां कोचिंग खोलने का फैसला लिया।
पढ़ाई के साथ पार्ट टाइम जॉब कर बनवाया घर
आ शाराम के मां-पिता कचरा बीनकर घर खर्च चलाते थे। उन्होंने 2018 में नीट क्रेक कर एम्स जोधपुर में एडमिशन लिया। यहां पढ़ाई के साथ पार्ट टाइम जॉब की। अपने परिवार को झोपड़ी से घर में लाने के लिए दिन रात मेहनत कर तीन मंजिला घर बनवाया। उन्होंने बताया कि परिवार के लिए सब्जी बेची, मजदूरी की लेकिन अब किसी को काम के लिए भटकना नहीं पड़ता है।