दरअसल प्रदेश शासन के राज्य आनंद विभाग द्वारा आनंद की वृद्धि करने वाले विशेष लोगों के लिए पुरस्कार दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत राज्य आनंद संस्थान विशेष प्रोजेक्ट्स, स्टूडेंट्स और छात्रों का चयन करेगा। इसमें आनंद विषय पर पीएचडी, प्रोजेक्ट्स और फेलोशिप्स के विषय शामिल किए जाएंगे।
गौरतलब है कि इस काम के लिए प्रदेश के समस्त शिक्षण संस्थानों को यह जिम्मेदारी दी जा रही है। ताकि उनके क्रिएटिव आईडिया और प्रोजेक्ट्स के आधार पर किए गए रिसर्च आम जनता तक पहुंचाए जा सकें और उन्हें आनंद की अनुभूति की वास्तविकता समझाई जा सके।
राज्य शिक्षा केन्द्र और आनंद विभाग ने समस्त शिक्षण संस्थाओं में पत्र जारी किया है, जिसमें उल्लेख है कि एक वर्ष में अधिकतम 5 प्रोजेक्ट होंगे। प्रत्येक प्रोजेक्ट के लिए 10 लाख की राशि प्रदान की जाएगी। वहीं एक प्रोजेक्ट की अवधि 3 वर्ष होगी।
तीन कैटेगरी में मिलेगा पुरस्कार
आनंद शोध पुरस्कार :
(उच्च शैक्षणिक संस्थाओं में रिसर्च बढ़ाने)
पीएचडी/डीलिट के जरिए वातावरण में आनंद की समझ विकसित करने में सहायक शोध, पुरस्कृत होगा। इसमें पहला एक लाख, दूसरा 50 हजार व तीसरा पुरस्कार २५ हजार का होगा।
आनंद प्रोजेक्ट पुरस्कार :
(शिक्षण संस्थाओं में प्रोजेक्ट कार्य के लिए)
यूजी/पीजी क्लासेस के साथ स्कूलों में दिए जाने वाले प्रोजेक्ट वर्क के आधार पर कोई भी छात्र आवेदन कर सकता है। तीन पुरस्कर 25 हजार, 15 हजार और 10 हजार के प्रदान किए जाएंगे।
आनंद शोध पुरस्कार :
(उच्च शैक्षणिक संस्थाओं में रिसर्च बढ़ाने)
पीएचडी/डीलिट के जरिए वातावरण में आनंद की समझ विकसित करने में सहायक शोध, पुरस्कृत होगा। इसमें पहला एक लाख, दूसरा 50 हजार व तीसरा पुरस्कार २५ हजार का होगा।
आनंद प्रोजेक्ट पुरस्कार :
(शिक्षण संस्थाओं में प्रोजेक्ट कार्य के लिए)
यूजी/पीजी क्लासेस के साथ स्कूलों में दिए जाने वाले प्रोजेक्ट वर्क के आधार पर कोई भी छात्र आवेदन कर सकता है। तीन पुरस्कर 25 हजार, 15 हजार और 10 हजार के प्रदान किए जाएंगे।
आनंद फेलोशिप :
(प्रदेश में एक्शन रिसर्च, प्रोजेक्ट वर्क को प्रोत्साहन)
हर वर्ष 10 फेलोशिप के लिए चयनित व्यक्तियों को 3 लाख रुपए की सहायता प्रदान की जाएगी। 3 वर्ष की अवधि वाली फेलोशिप से पूर्व संबंधित व्यक्ति का साक्षात्कार होगा।
(प्रदेश में एक्शन रिसर्च, प्रोजेक्ट वर्क को प्रोत्साहन)
हर वर्ष 10 फेलोशिप के लिए चयनित व्यक्तियों को 3 लाख रुपए की सहायता प्रदान की जाएगी। 3 वर्ष की अवधि वाली फेलोशिप से पूर्व संबंधित व्यक्ति का साक्षात्कार होगा।
इधर, ‘बेगमों का भोपाल’आज …
शहर का इतिहास जितना इमारतों, किताबों, तारीखों में है उतना ही शहर में बसे लोगों में है…, जो अपने अपने तरीकों से इस शहर के भूतकाल को जिंदा रखते हैं। बेगमों के इस शहर की हवा, खुशबू, धरोहर को शॉर्ट फिल्म ‘बेगमों का भोपाल’ में उतारा है रचिता गोरोवाला ने। रविवार को इस फिल्म की स्क्रीनिंग चेतक ब्रिज स्थित डायलॉग को-वर्किंग स्पेस में शाम 7 बजे से होगी।
शहर का इतिहास जितना इमारतों, किताबों, तारीखों में है उतना ही शहर में बसे लोगों में है…, जो अपने अपने तरीकों से इस शहर के भूतकाल को जिंदा रखते हैं। बेगमों के इस शहर की हवा, खुशबू, धरोहर को शॉर्ट फिल्म ‘बेगमों का भोपाल’ में उतारा है रचिता गोरोवाला ने। रविवार को इस फिल्म की स्क्रीनिंग चेतक ब्रिज स्थित डायलॉग को-वर्किंग स्पेस में शाम 7 बजे से होगी।
26 मिनट की इस फिल्म में बेगम का निवास स्थल ताजमहल , मोती मस्जिद, ताज उल मस्जिद, शौकत महल, सदर मंजिल के इतिहास को दिखाया जाएगा। बेगमों के भोपाल की इमोशनल स्टोरी को फिल्म में लिरिकल और म्यूजिकल अंदाज में दिखाया गया है। फिल्म में मंजूर एहतेशाम, सलाउद्दीन काजी और फिरोज खान मुख्य किरदारों में हैं।