प्रदेश के बीना में पेट्रो केमिकल प्लांट का काम शुरू होते ही इंडस्ट्रीयल एरिया के ऐसे सभी प्लॉट बुक हो गए जोकि वर्षों से खाली पड़े थे। नोयडा के लोगों ने इन्हें बुक किया है। एमपीआइडीसी के मैनेजर प्रमोद उपाध्याय के अनुसार इंडस्ट्रीयल एरिया में 150 प्लॉट खाली थे, जो कुछ माह में ही बुक हो गए हैं। अब यहां एक भी प्लॉट खाली नहीं बचा है। सभी प्लॉट नोयडा के लोगों ने बुक किए हैं, जिसमें अलग-अलग प्रोडक्ट शामिल हैं।
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पेट्रोकेमिकल प्लांट आने के बाद अब क्षेत्र में बड़े इंडस्ट्रीयल एरिया की जरूरत है, जिससे उद्योगपतियों को सुविधायुक्त जगह मिल सके। इसके लिए सरकार ने भी पहल की है। उद्योग के लिए 27 गांवों में सरकारी जमीन आरक्षित की गई है। यहां भविष्य में उद्योग लग सकेंगे। सरकार का मानना है कि यदि एक ही स्थान पर बड़ा इंडस्ट्रीयल एरिया बनाया जाए, तो यह ज्यादा सुविधाजनक होगा।
पेट्रोकेमिकल प्लांट आने के बाद अब क्षेत्र में बड़े इंडस्ट्रीयल एरिया की जरूरत है, जिससे उद्योगपतियों को सुविधायुक्त जगह मिल सके। इसके लिए सरकार ने भी पहल की है। उद्योग के लिए 27 गांवों में सरकारी जमीन आरक्षित की गई है। यहां भविष्य में उद्योग लग सकेंगे। सरकार का मानना है कि यदि एक ही स्थान पर बड़ा इंडस्ट्रीयल एरिया बनाया जाए, तो यह ज्यादा सुविधाजनक होगा।
इंडस्ट्रीयल एरिया बनने और सरकार द्वारा इसके लिए जमीन आरक्षित किए जाने के बाद से सभी गांवों में जमीन की डिमांड
बढ़ गई है। जिन लोगों के पास पर्याप्त जमीनें हैं, वे बैठे बैठे ही मालामाल बन चुके हैं। दरअसल बाहर के लोग ग्रामीणों को जमीन के बदले मुंहमांगी कीमत देने के लिए तैयार हैं।
बढ़ गई है। जिन लोगों के पास पर्याप्त जमीनें हैं, वे बैठे बैठे ही मालामाल बन चुके हैं। दरअसल बाहर के लोग ग्रामीणों को जमीन के बदले मुंहमांगी कीमत देने के लिए तैयार हैं।
यह भी पढ़ें: सोमवार को स्कूली वाहनों के ड्राइवरों की छुट्टी, बंद रहेंगी बसें और वैन 27 गांवों में 600 हेक्टेयर से ज्यादा शासकीय जमीन का आवंटन उद्योग विभाग के लिए किया गया है, जहां उद्योग स्थापित होंगे। इन गांवों में छायनकाछी, जगदीशपुरा, पिपरासर, बम्होरी केला, ढांड़, सलीता, भैंसवाहा, कोंरजा, लखाहर, सतौरिया, बरौदिया आदि शामिल हैं।
क्षेत्र में पेट्रोकेमिकल से जुड़े हुए उद्योग लगाए जाने हैं, जिसमें प्लास्टिक, कृषि यंत्र, पेंट, केमिकल सहित अन्य प्रोडक्ट बनाए जाएंगे। पेट्रोकेमिकल के अलावा अन्य उद्योग भी यहां लगाए जाएंगे, क्योंकि यहां से ट्रेन रूट और सड़क मार्ग से आवागमन सुगम है। इससे पूर्व बीना में फूड पार्क बनाने, लॉजिस्टिक हब के लिए भी पहल की जा चुकी है।