‘लाड़ली लक्ष्मी’ और ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ की सफलता के बाद सरकार इस स्कीम से महिला वोट बैंक को आत्मनिर्भर बनाने के साथ साधने पर फोकस होकर कार्य कर रही है। ब्लू प्रिंट तैयार कर विभाग जल्द ही जमीन पर उतारेगा।
इन चार बदलाव से सशक्त करने का प्रयास
-अब इन समूहों को आत्मनिर्भर बनाने कॉमन रोडमैप बनेगा। इसमें लखपति दीदी, लाड़ली और अन्य योजनाएं शामिल होंगी। -समूहों को प्रोडेक्ट बनाने से लेकर मार्केट में बेचने तक का लिंकेज प्लेटफार्म तैयार कर 10 लाख नए समूह बनाने का लक्ष्य। महिलाओं को लाड़ली शक्ति क्रेडिट कार्ड मिलेगा। न्यूनतम दर पर एक लाख तक कर्ज मिलेगा। इसमें 6000 करोड़ लिंक होंगे। पंद्रह लाख लखपति दीदी तैयार करने के लक्ष्य के साथ इनकी सालाना आय न्यूनतम एक लाख तक बनाने का प्रयास होगा।
समूहों की स्थिति
-4.99 लाख से ज्यादा महिला एसएचजी।-61 लाख से ज्यादा महिलाएं शामिल।
-10 लाख नए एसएचजी बनाने का लक्ष्य।
-1.30 करोड़ महिलाओं को जोड़ा जाएगा।
अभी प्रदेश में ऐसे हाल
एसएचजी को आजीविका मिशन से काम, प्रशिक्षण और सहायता मिलती है। कोरोना के बाद समूहों को आजीविका मार्ट से जोड़ा गया। कई जिलों में तो समूहों के बेहतर थे लेकिन कुछ जगह एसएचजी ठप पड़े हैं। महिला सशक्तीकरण पर मिशन मोड पर काम हो रहा है। हम जीवन स्तर सुधारने के लिए संकल्पित हैं। समूहों को लाभ से जोड़ेंगे। निर्मला भूरिया, मंत्री, महिला एवं बाल विकास