लाड़ली बहना योजना का
मप्र की महिलाओं पर गहरा असर हुआ और उन्होंने योजना की शुरुआत करने वाले पूर्व सीएम शिवराज सिंह के लिए विधानसभा चुनाव में जमकर वोटिंग की थी। सबसे ज्यादा असर विंध्य, महाकौशल, बुंदेलखंड और आदिवासी इलाकों में नजर आया। यहां महिलाओं ने जमकर मतदान किया था। लगभग 30 विधानसभा क्षेत्रों में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया था। यही कारण रहा कि 2018 की तुलना में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत दो प्रतिशत बढ़ा।
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-राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (2020-21) के अनुसार मध्यप्रदेश में 23.0% महिलाएं मानक बॉडी मास इन्डेक्स से कम स्तर पर हैं। योजना की राशि से महिलाओं का खानपान सुधरेगा तो इस इंडेक्स में सुधार आएगा।
-15 से 49 वर्ष की उम्र की किशोरी/महिलाओं के अच्छे दिन आएंगे। इन किशोरी/महिलाओं में एनीमिया का स्तर 54.7 प्रतिशत है। इसके लिए अच्छा भोजन जरूरी है, तभी इसमें सुधार संभव है। -सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा 2020-21 में जारी रिपोर्ट भारत में महिला एवं पुरुष वर्ष 2020 के अंतर्गत प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश में श्रम बल सहभागिता दर में ग्रामीण क्षेत्र के तहत जहां 57.7 प्रतिशत पुरुष भागीदारी है, वहीं मात्र 23.3 प्रतिशत महिलाओं की श्रम बल में भागीदारी है।
-इसी प्रकार शहरी क्षेत्र में 55.9% पुरुषों के विरुद्ध केवल 13.6% महिलाओं की श्रम बल में भागीदारी रही। इससे स्पष्ट है कि महिलाओं की श्रम में भागीदारी पुरुषों की अपेक्षा कम है। ऐसे में उनका आर्थिक स्वावलंबन जरूरी है।
मप्र में लाड़ली बहना योजना का बजट
वित्तीय वर्ष 2024-25: 1,89,83,99,12 करोड़
वित्तीय वर्ष 2023-24: 1,47,16,00,00 करोड़