इधर गैस सप्लाई करने वाली कंपनी आईनॉक्स के प्रवक्ता ने बताया कि ऑक्सीजन गैस लिक्विड फार्म में महाराष्ट्र एवं गुजरात से यहां आती है। उसके बाद उसकी रिफलिंग की जाती है। लॉकडाउन में उद्योग बंद थे, तो ज्यादा गैस हॉस्पिटलों को ही जा रही थी, लेकिन धीरे-धीरे लॉकडाउन अनलॉक होने के बाद उद्योगों में भी गैस की मांग शुरू हो गई। ऐसी स्थिति में मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है। रेट बढऩे को लेकर प्रवक्ता ने कहा कि मेडिकल गैस के रेट नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइजिंग अथॉरिटी से फिक्स होते हैं। लेकिन कुछ उद्योगों में गैस डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से सप्लाई होती है। इसलिए प्लांट स्तर पर रेट बढ़ाने की बात सही नहीं है।
कीमत दो गुना हो गई
मेडिकल ऑक्सीजन मिल तो रही है लेकिन दाम एक माह में दोगुना हो गए। पहले जंबो सिलेंडर 150 रुपए का था, अब 300 में। कीमत क्यों बढ़ रही, समझ में नहीं आ रहा। उत्पादन बढऩा चाहिए।
डॉ. आरके पालीवाल, संचालक, पालीवाल अस्पताल
सरकार मजबूरी समझे
ऑक्सीजन सिलेंडर की बहुत कमी हो गई है। रेट भी मनमाने हो गए है। उद्योगों को सिलेंडर नहीं मिलने से कई इकाईयों में काम बंद होने लगा है। सरकार को हमारी मजबूरी समझना होगा।
अमरजीत सिंह, अध्यक्ष, गोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
तो काम कैसे चलेगा
सप्लाई वाली कंपनियां समझें कि उद्योगों को सिलेंडर नहीं मिले तो उनका काम कैसा चलेगा। सिलेंडरों की कीमत 600-700 रुपए तक बोली जाने लगी हैं।
राजीव अग्रवाल, अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ ऑल
इंडस्ट्रीज, मंडीदीप
कीमत दो गुना हो गई
मेडिकल ऑक्सीजन मिल तो रही है लेकिन दाम एक माह में दोगुना हो गए। पहले जंबो सिलेंडर 150 रुपए का था, अब 300 में। कीमत क्यों बढ़ रही, समझ में नहीं आ रहा। उत्पादन बढऩा चाहिए।
डॉ. आरके पालीवाल, संचालक, पालीवाल अस्पताल
सरकार मजबूरी समझे
ऑक्सीजन सिलेंडर की बहुत कमी हो गई है। रेट भी मनमाने हो गए है। उद्योगों को सिलेंडर नहीं मिलने से कई इकाईयों में काम बंद होने लगा है। सरकार को हमारी मजबूरी समझना होगा।
अमरजीत सिंह, अध्यक्ष, गोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
तो काम कैसे चलेगा
सप्लाई वाली कंपनियां समझें कि उद्योगों को सिलेंडर नहीं मिले तो उनका काम कैसा चलेगा। सिलेंडरों की कीमत 600-700 रुपए तक बोली जाने लगी हैं।
राजीव अग्रवाल, अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ ऑल
इंडस्ट्रीज, मंडीदीप
इंडस्ट्री एसोसिएशन की तरफ से टैंकर के माध्यम से खुद कमर्शियल उपयोग के लिए व्यवस्था की गई है। अगर रेट पर कोई संशय है तो उसकी जांच कराई जाएगी। ये मेडिकल ऑक्सीजन नहीं है, उद्योगों वाली है।
अविनाश लवानिया, कलेक्टर, भोपाल
अविनाश लवानिया, कलेक्टर, भोपाल