कांग्रेस से दिग्विजय को प्रत्याशी बनाने के बाद से ही प्रज्ञा की इच्छा थी कि वे अपने चिर प्रतिद्वंदी के सामने मैदान में उतरें। प्रज्ञा ठाकुर ने अपनी इच्छा संघ के सामने रखी और उसके बाद से संघ की इच्छा पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उनके नाम को गंभीरता से लिया।
कैसे प्रज्ञा बनीं उम्मीदवार
22 से 27 मार्च तक प्रज्ञा ठाकुर दिल्ली में डेरा डाले रहीं और इसी दौरान उनके टिकट पर मुहर लग गई। संगठन प्रज्ञा के नाम पर स्थानीय नेताओं को राजी करना चाहता था। उसे डर था कि बालाघाट, टीकमगढ़ और खजुराहो की तरह भोपाल में भी बगावत बुलंद ना हो जाए। स्थानीय नेताओं को साधने का काम राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल और प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने संभाला। मंगलवार को देर शाम प्रदेश स्तर के नेताओं की भोपाल में बैठक हुई। उसी बैठक में लोगों ने साफ कर दिया कि प्रज्ञा के नाम के ऐलान के बाद किसी तरह का असंतोष पैदा न हो।
22 से 27 मार्च तक प्रज्ञा ठाकुर दिल्ली में डेरा डाले रहीं और इसी दौरान उनके टिकट पर मुहर लग गई। संगठन प्रज्ञा के नाम पर स्थानीय नेताओं को राजी करना चाहता था। उसे डर था कि बालाघाट, टीकमगढ़ और खजुराहो की तरह भोपाल में भी बगावत बुलंद ना हो जाए। स्थानीय नेताओं को साधने का काम राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल और प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने संभाला। मंगलवार को देर शाम प्रदेश स्तर के नेताओं की भोपाल में बैठक हुई। उसी बैठक में लोगों ने साफ कर दिया कि प्रज्ञा के नाम के ऐलान के बाद किसी तरह का असंतोष पैदा न हो।
21वें दिन हुई एंट्री
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के दिल्ली से लौटने के बाद 21वें रोज यानी की 17 अप्रैल को उन्होंने भाजपा की सदस्यता लीं। उसके ठीक दो घंटे के बाद दिल्ली से उनके नाम का ऐलान कर दिया गया है कि प्रज्ञा ठाकुर भोपाल से बीजेपी की उम्मीदवार होंगी।
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के दिल्ली से लौटने के बाद 21वें रोज यानी की 17 अप्रैल को उन्होंने भाजपा की सदस्यता लीं। उसके ठीक दो घंटे के बाद दिल्ली से उनके नाम का ऐलान कर दिया गया है कि प्रज्ञा ठाकुर भोपाल से बीजेपी की उम्मीदवार होंगी।
वहीं, साध्वी के चुनाव में अहम जिम्मेदारी सांसद आलोक संजर को सौंपी गई हैं। भोपाल लोकसभा क्षेत्र के सभी पदाधिकारियों को भी बुलाकर कहा गया कि प्रज्ञा को जिताने के लिए काम करें। भाजपा का यह है फॉर्मूला
कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह ने प्रज्ञा पर भगवा आतंकवाद का आरोप लगाया था। प्रज्ञा ने भी दिग्विजय के खिलाफ कई बार बयान दिए हैं। वे हार्डकोर हिंदूवादी छवि की नेता होने के साथ ही संघ की पसंद हैं। उनकी पार्टी में ज्वाइनिंग के लिए संगठन महामंत्री रामलाल भोपाल पहुंचे। भाजपा दिग्विजय सिंह को तुष्टिकरण का नेता बताती रही है। ऐसे में भोपाल सीट पर वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है। भाजपा ने दिग्विजय की काट के लिए ध्रुवीकरण का फॉर्मूला अपनाया है। प्रज्ञा के पिता आरएसएस के स्वयंसेवक और आयुर्वेदिक डॉक्टर थे। इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएट प्रज्ञा हमेशा से ही दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़ी रहीं।
मालेगांव ब्लास्ट की रही हैं आरोपी
भिंड जिले में जन्मी और कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलने वाली प्रज्ञा का जीवन उतार-चढ़ाव वाला रहा है। मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक बम विस्फोट हुआ था। बम को मोटरसाइकिल में लगाया गया था। इस ब्लास्ट में आठ लोग मारे गए थे और 80 से अधिक लोग घायल हो हुए थे। इसकी प्रारंभिक जांच में प्रज्ञा का नाम सामने आया। एनएआईए ने जांच में पाया कि घटना की साजिश अप्रैल 2008 में भोपाल में रची गई थी। बाद में वे इस मामले में बरी हो गईं।
भिंड जिले में जन्मी और कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलने वाली प्रज्ञा का जीवन उतार-चढ़ाव वाला रहा है। मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक बम विस्फोट हुआ था। बम को मोटरसाइकिल में लगाया गया था। इस ब्लास्ट में आठ लोग मारे गए थे और 80 से अधिक लोग घायल हो हुए थे। इसकी प्रारंभिक जांच में प्रज्ञा का नाम सामने आया। एनएआईए ने जांच में पाया कि घटना की साजिश अप्रैल 2008 में भोपाल में रची गई थी। बाद में वे इस मामले में बरी हो गईं।