30 मई को नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। 17वीं लोकसभा का पहला सत्र जून के पहले सप्ताह से शुरू होगा। इस बार 300 नए सांसद जीतक संसद पहुंचे हैं। नियम के अनुसार ने साध्वी प्रज्ञा को सदन में पीछे की सीट दी जाएगी। इसकी वजह यह है कि प्रज्ञा पहली बार सांसद चुनी गई हैं। क्योंकि सदन में सीट वरिष्ठता के आधार पर आवंटन होती है।
साध्वी के पास राजनीति का कोई लंबा अनुभव नहीं रहा है। बीजेपी में आने से पहले भी वो किसी दल में नहीं थी। ऐसे में वरिष्ठता के आधार पर बीजेपी के कई युवा सांसदों को साध्वी प्रज्ञा से आगे की सीट दी जाएगी। ऐसे में सदन के अंदर हमीरपुर से बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर उनसे आगे बैठे दिखाई देंगे। क्योंकि वो चौथी बार चुनाव जीतकर लोकसभा चुनाव पहुंचे हैं।
ऐसे निर्धारित होती है सीट
चुनाव जीतकर संसद पहुंचने वाले हर सांसद की बैठने के लिए एक सीट निर्धारित होती है। वो सत्र के दौरान उसी सीट पर जाकर बैठेगा। सीट का निर्धारण सीनियरिटी के आधार पर होती है। स्पीकर के दाईं ओर आगे की सीटों पर सत्तापक्ष वरिष्ठ नेता, प्रधानमंत्री और कैबिनेट मंत्री बैठते हैं।
चुनाव जीतकर संसद पहुंचने वाले हर सांसद की बैठने के लिए एक सीट निर्धारित होती है। वो सत्र के दौरान उसी सीट पर जाकर बैठेगा। सीट का निर्धारण सीनियरिटी के आधार पर होती है। स्पीकर के दाईं ओर आगे की सीटों पर सत्तापक्ष वरिष्ठ नेता, प्रधानमंत्री और कैबिनेट मंत्री बैठते हैं।
जबकि बाईं तरफ विपक्ष के वरिष्ठ नेता और डिप्टी स्पीकर बैठते हैं। वहीं, सबसे आगे की सीटों पर सदन में अपनी पार्टी के नेता सदन को जगह दी जाती है और इसके बाद बाकी दलों के सांसदों को बैठने की व्यवस्था होती है। इसके अलावे उसकी वरिष्ठता और कार्यकाल के अऩुसार भी सीटें मिलती हैं।