भोपाल

JAN GAN MAN YATRA : दल बदल को राजनीति नहीं इसे अवसरवाद कहेंगे- डॉ. गुलाब कोठारी

तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल का दौरा कर जन गण मन यात्रा भोपाल पहुंची थी, पेश है पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी से बातचीत…

भोपालApr 11, 2024 / 07:34 pm

Shailendra Sharma

देश में 18वीं लोकसभा चुनाव की सरगर्मी चल रही है। इसी दौरान जनता का मन टटोलने के लिए पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी जन गण मन यात्रा पर निकले हुए हैं। यात्रा का कारवां पश्चिम से दक्षिण तक और पूरब से होते हुए भारत के दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में पहुंचा। मध्यप्रदेश में इंदौर से यह यात्रा भोपाल पहुंची। यहां भी डॉ. गुलाब कोठारी ने भाजपा-कांग्रेस के जन प्रतिनिधियों सहित कई क्षेत्रों में कार्य कर रहे लोगों से चर्चा की। इस दौरान डॉ. गुलाब कोठारी की यात्रा के अनुभव भी लोगों को जानने को मिले। इसी सिलसिले में गुरुवार को डॉ. गुलाब कोठारी ने पत्रिका से खास बातचीत की और देश की सियासी हलचल और दल बदल की राजनीति को लेकर अपने विचार साझा किए।
प्रश्न: विभिन्न राज्यों के राजनीतिक मिजाज में कितना अंतर पाते हैं?

डॉ. गुलाब कोठारी : राजनीति का मिजाज बिखरा हुआ है। केरल में कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस यह दो ही मजबूत पार्टियां हैं। बाकी सब प्रवेश पाने के लिए छटपटा रहे हैं। पिछली सरकार के कुछ निर्णय भाजपा के पक्ष में जाते दिख रहे हैं। मतदान का प्रतिशत भी बढ़ता दिख रहा है। क्या वो सीटों में बदल पाएगा और कितना बदल पाएगा, यह कहना मुश्किल है। तमिलनाडु की बात करें तो वहां डीएमके के अलावा कोई है नहीं। उनके सामने जो विपक्षी पार्टी (एआईडीएमके) है, उसके तीन टुकड़े हैं। मुझे लगता है जब आप बिखर जाओगे तो आप कैसे बड़े प्रतिद्वंदी का सामना कर पाओगे, यह बड़ा प्रश्न है। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन भाजपा के पास सीटें लोकसभा में ज्यादा हैं। तो कितना बंटवारा होगा यह कहना जल्दबाजी होगा। येदियुरप्पा कहते हैं कि 28 की 28 सीटें हमारे पास आएंगी। जबकि कांग्रेस ने 100 दिन में जो काम किया है वो सबके सामने है।
https://youtu.be/hTNgJ4BRntU

प्रश्न: एमपी में दलबदल की राजनीति को कैसे देखते हैं?

डॉ. गुलाब कोठारी : मध्यप्रदेश में चल रही दलबदल की राजनीति को राजनीति नहीं अवसरवाद कहेंगे। इतने बड़े स्तर पर दलबदल होते हैं तो जो मूल पार्टी है, उसका स्वरूप भी बिखरने वाला हो जाएगा। यह सब अपने-अपने अधिकारों के लिए लड़ेगें। इन्हें अंदर ही अंदर बहुत संघर्ष करना पड़ेगा। कुछ क्षेत्रों में असंतुष्ट लोग दिखाई पड़ रहे हैं। किसान का कहना तो यह है कि जितना एमएसपी बोला था गेहूं का उतना एमएसपी उसे नहीं मिला। चावल की बोली नहीं दी, बीमा में धोखा होता है। इससे किसानों का मतदान का प्रतिशत घट सकता है। मध्यप्रदेश में आदिवासी क्षेत्र में भी संघर्ष देखने को मिल रहा है। यहां पर पहले झाबुआ-रतलाम, धार लोकसभा सीटों पर अच्छी फाइट नजर आ रही थी लेकिन अब इनके साथ ही ग्वालियर, मुरैना और सागर सीट पर भी चर्चा में आ गई हैं।

प्रश्न: विधानसभा के बाद भाजपा-कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन हुआ। इस बदलाव को कैसे देखते हैं?

डॉ. गुलाब कोठारी : इस बदलाव का मूल आधार लोकसभा का चुनाव ही था। कहां उनको भले लोग चाहिए थे, कहां उनको टेढ़ी उंगली से घी निकालने वाले चाहिए थे, इस तरह से उनका चुनाव हुआ, उसी तरह उन्हें पदस्थ किया गया।


प्रश्न: राजनीतिक दल युवा और महिलाओं को बड़ा वोट बैंक मानते हैं, इस पर आप क्या कहेंगे?

डॉ. गुलाब कोठारी : इस बार युवा मतदाता प्रतिशत में सबसे आगे हैं। दो तिहाई मतदाता युवा हैं। महिलाएं पिछली बार से ज्यादा जोश में हैं। एक तरफ राम मंदिर और दूसरी तरफ तीन तलाक को लेकर भी महिलाएं जोश में हैं। केरल जैसी जगह में इन्हें लेकर बदलाव होता दिखा, हां बदलाव कितना होगा ये समय के साथ ही पता चलेगा।

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