प्रश्न: एमपी में दलबदल की राजनीति को कैसे देखते हैं?
डॉ. गुलाब कोठारी : मध्यप्रदेश में चल रही दलबदल की राजनीति को राजनीति नहीं अवसरवाद कहेंगे। इतने बड़े स्तर पर दलबदल होते हैं तो जो मूल पार्टी है, उसका स्वरूप भी बिखरने वाला हो जाएगा। यह सब अपने-अपने अधिकारों के लिए लड़ेगें। इन्हें अंदर ही अंदर बहुत संघर्ष करना पड़ेगा। कुछ क्षेत्रों में असंतुष्ट लोग दिखाई पड़ रहे हैं। किसान का कहना तो यह है कि जितना एमएसपी बोला था गेहूं का उतना एमएसपी उसे नहीं मिला। चावल की बोली नहीं दी, बीमा में धोखा होता है। इससे किसानों का मतदान का प्रतिशत घट सकता है। मध्यप्रदेश में आदिवासी क्षेत्र में भी संघर्ष देखने को मिल रहा है। यहां पर पहले झाबुआ-रतलाम, धार लोकसभा सीटों पर अच्छी फाइट नजर आ रही थी लेकिन अब इनके साथ ही ग्वालियर, मुरैना और सागर सीट पर भी चर्चा में आ गई हैं।
प्रश्न: विधानसभा के बाद भाजपा-कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन हुआ। इस बदलाव को कैसे देखते हैं?
डॉ. गुलाब कोठारी : इस बदलाव का मूल आधार लोकसभा का चुनाव ही था। कहां उनको भले लोग चाहिए थे, कहां उनको टेढ़ी उंगली से घी निकालने वाले चाहिए थे, इस तरह से उनका चुनाव हुआ, उसी तरह उन्हें पदस्थ किया गया।
प्रश्न: राजनीतिक दल युवा और महिलाओं को बड़ा वोट बैंक मानते हैं, इस पर आप क्या कहेंगे?
डॉ. गुलाब कोठारी : इस बार युवा मतदाता प्रतिशत में सबसे आगे हैं। दो तिहाई मतदाता युवा हैं। महिलाएं पिछली बार से ज्यादा जोश में हैं। एक तरफ राम मंदिर और दूसरी तरफ तीन तलाक को लेकर भी महिलाएं जोश में हैं। केरल जैसी जगह में इन्हें लेकर बदलाव होता दिखा, हां बदलाव कितना होगा ये समय के साथ ही पता चलेगा।