चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री बनने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. राजीव गांधी ने अचानक उन्हें कांग्रेस का समर्थन देकर प्रधानमंत्री बनवा दिया था और कुछ माह बाद समर्थन वापस भी ले लिया. हालांकि उनका कार्यकाल एक और वजह से याद रखा जाता है. चंद्रशेखर जब प्रधानमंत्री बने तो देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी. हालात यहां तक पहुंच गए कि उन्हें देश का सोना तक गिरवी रखना पडा था.
अपनी राजनैतिक यात्रा में चंद्रशेखर कई बार मध्यप्रदेश आए. उन्होंने 6 जनवरी, 1983 से ‘भारत यात्रा’ शुरु की थी. 25 जून, 1983 तक चली इस यात्रा को चंद्रशेखर देशवासियों से मिलने एवं उनकी महत्वपूर्ण समस्याओं को समझने के लिए की गई यात्रा बताते थे. अपने वक्त की यह सबसे बहुचर्चित राजनैतिक पदयात्रा थी. इस यात्रा में उन्होंने दक्षिण में कन्याकुमारी से नई दिल्ली में राजघाट तक की पदयात्रा की थी. किसी भी भारतीय नेता द्वारा की गई यह अभी तक की सबसे बड़ी पदयात्रा है. इस पदयात्रा में चंद्रशेखर लगभग 4,260 किलोमीटर पैदल चले थे.
मध्यप्रदेश से अपने दिली लगाव की वजह से यहां भारत यात्रा केंद्र की भी स्थापना की – तब केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा सहित वे देश के दिल मध्यप्रदेश भी आए थे. इतना ही नहीं चंद्रशेखर ने मध्यप्रदेश से अपने दिली लगाव की वजह से यहां भारत यात्रा केंद्र की भी स्थापना की थी. चंद्रशेखर के समाजवादी विचारों से प्रेरित होकर प्रदेश मेें रघु ठाकुर जैसे कई नेता उभरे थे. चंद्रशेखर विख्यात मनीषी आचार्य नरेंद्रदेव के शिष्य थे और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अपने छात्र जीवन से ही समाजवादी आंदोलन से जुड़ गए थे. उन्होंने सोशलिस्ट पार्टी से अपना राजनैतिक सफर प्रारंभ किया. यहां से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंचकर उनकी राजनैतिक यात्रा खत्म हुई.