नवजात शिशु की हालत गंभीर है। अब इस मामले को पुलिस, और खेल विभाग के जिम्मेदार अफसर दबाने में लगे हुए हैं। सोमवार देर रात खेल विभाग की शिल्पा श्रीवास्तव व उमा पटेल विभागीय डॉक्टर केएस चौबे के साथ पीडि़ता को पेट दर्द की शिकायत पर जेपी अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां सोनोग्राफी की तो ६ महीने का गर्भ पाया गया। डॉक्टरों पर दबाव बनाया गया कि डेढ़ महीने का ही गर्भ बताएं, लेकिन डॉक्टरों ने इससे इंकार कर दिया।
डॉक्टरों ने तत्काली गौरवी संस्था को इसकी सूचना दी। इसके बाद अस्पताल में पुलिस बयान लेने पहुंची। बयान भी लिया, लेकिन मंगलवार को इसे दबा दिया गया। पुलिस का कहना है कि पीडि़ता ने किसी तरह की कार्रवाई से इंकार कर दिया है। पुलिस के साथ ही इस मामले को खेल विभाग के अधिकारी भी दबाने में लगे हुए हैं।
जुलाई में हुआ था मेडिकल
खेल प्रतिभा होने के कारण पीडि़ता को खेल विभाग के अफसर जुलाई में जब भोपाल लेकर आए तो मेडिकल करवाया गया था। तब से ही वह होस्टल में रह रही थी। यौन शोषण के मामले के बाद खेल विभाग और पुलिस ने यह कहना शुरु कर दिया कि पीडि़ता नानी का नानी के घर भी आना-जाना था। कुछ अफसरों ने तो पीडि़ता के होस्टल में रहने से ही इंकार कर दिया है।
खेल प्रतिभा होने के कारण पीडि़ता को खेल विभाग के अफसर जुलाई में जब भोपाल लेकर आए तो मेडिकल करवाया गया था। तब से ही वह होस्टल में रह रही थी। यौन शोषण के मामले के बाद खेल विभाग और पुलिस ने यह कहना शुरु कर दिया कि पीडि़ता नानी का नानी के घर भी आना-जाना था। कुछ अफसरों ने तो पीडि़ता के होस्टल में रहने से ही इंकार कर दिया है।
जन्म तिथि पर भी सवाल
पीडि़ता की उम्र को लेकर भी अलग-अलग बाते सामने आ रही है। टीटी नगर टीआई वीरेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि पीडि़ता की उम्र १९ साल है। वह नाबालिग नहीं हैं। वहीं पीडि़ता ने डॉक्टरों को १८ साल बताया है। आशंका है कि पीडि़ता नाबालिग भी हो सकती है। जिस समय पीडि़ता का यौन शोषण हुआ, उस समय वह नाबालिग की रही है।
पीडि़ता की उम्र को लेकर भी अलग-अलग बाते सामने आ रही है। टीटी नगर टीआई वीरेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि पीडि़ता की उम्र १९ साल है। वह नाबालिग नहीं हैं। वहीं पीडि़ता ने डॉक्टरों को १८ साल बताया है। आशंका है कि पीडि़ता नाबालिग भी हो सकती है। जिस समय पीडि़ता का यौन शोषण हुआ, उस समय वह नाबालिग की रही है।
अनाथ होने के कारण बदलवाए बयान
पीडि़ता अनाथ होने के कारण उस पर दबाव बनाकर उसका बयान बदलवाया गया है। डॉक्टरों के पूछने पर पीडि़ता सही बात कहने लगी तो उसे रोक दिया गया। बाद में पीडि़ता को अस्पताल लाने वालों ने उसे समझाया कि एेसा नहीं कहना और पुलिस को बता दो कि कोई कार्रवाई नहीं चाहती है।
पीडि़ता अनाथ होने के कारण उस पर दबाव बनाकर उसका बयान बदलवाया गया है। डॉक्टरों के पूछने पर पीडि़ता सही बात कहने लगी तो उसे रोक दिया गया। बाद में पीडि़ता को अस्पताल लाने वालों ने उसे समझाया कि एेसा नहीं कहना और पुलिस को बता दो कि कोई कार्रवाई नहीं चाहती है।