दरअसल, हनी ट्रैप मामले में गठित एसआईटी शुरू से ही विवादों में रही है। डीजीपी वीके सिंह ने अपने स्तर पर ही एसआईटी गठित कर दी। साथ ही चौबीस घंटे के अंदर ही एसआईटी चीफ को भी बदल दिया। सीएम इसी बात से नाराज थे कि आखिरी इस मामले में एसआईटी की जरूरत क्या आन पड़ी थी। साथ ही इसमें एटीएस को क्यों शामिल किया गया। इसकी जानकारी भी उन्हें नहीं दी गई।
सीएम इस प्रकरण से इतने नाराज हैं कि सोमवार को भोपाल पहुंचते ही देर रात डीजीपी और एसआईटी चीफ को तलब किया। इस दौरान बताया जाता है कि दोनों अधिकारी को जमकर हड़काया। इस मीटिंग के चौबीस घंटे भी नहीं हुए सीएम ने सर्जरी कर तमाम विवादों को सलटाने की कोशिश की। उन्होंने एसआईटी चीफ संजीव शमी को हटा दिया। उनकी जगह राजेंद्र कुमार को एसआईटी का चीफ बना दिया गया। इसके साथ ही अन्य सदस्यों को भी हटा दिया। इसमें सिर्फ इंदौर एसएसपी रुचिवर्धन मिश्रा को बने रहने दिया गया है।
गाजियबाद में बिना अनुमति के किराए पर लिए गए फ्लैट खाली कराने को लेकर विवाद में आए स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा की एसटीएफ और साइबर क्राइम से रवानगी कर दी गई है। उन्हें अब लोग अभियोजन का डायरेक्टर बनाया गया है। शर्मा ने पुलिस महानिदेश वीके सिंह पर मीडिया में यह आरोप लगाया था कि वे फ्लैट को हनी ट्रैप से जोड़कर उन्हें बदनाम कर रहे हैं। इन आरोपों पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नाराजगी जाहिर की थी। इसे अनुशासनहीनता के दायरे में माना गया था।