ये है पर्दे के पीछे की कहानी
सूत्रों का कहना है कि, 10 अक्टूबर की शाम को विधायक नारायण त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री कमल नाथ से मुलाकात की थी। इस दौरान सीएम कमल नाथ के साथ पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह भी मौजूद थे। नारायण त्रिपाठी ने कमल नाथ के सामने अपनी अपेक्षाएं बताई। लेकिन नारायण की बात सुनकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह नाराज हो गए और उन्होंने नारायण त्रिपाठी को फटकार लगाई जिसके बाद वो वापस आ गए।
सूत्रों का कहना है कि, 10 अक्टूबर की शाम को विधायक नारायण त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री कमल नाथ से मुलाकात की थी। इस दौरान सीएम कमल नाथ के साथ पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह भी मौजूद थे। नारायण त्रिपाठी ने कमल नाथ के सामने अपनी अपेक्षाएं बताई। लेकिन नारायण की बात सुनकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह नाराज हो गए और उन्होंने नारायण त्रिपाठी को फटकार लगाई जिसके बाद वो वापस आ गए।
कार्यकर्ताओं से की मुलाकात
दिग्विजय की फटकार के बाद नारायण त्रिपाठी अपने होटल पहुंचे और अपने कार्यकर्ताओं से बात की। कहा जा रहा है कि नारायण त्रिपाठी ने अपने कार्यकर्ताओं से पूछा क्या उन्हें भाजपा में वापस जाना चाहिए। जिस पर कार्यकर्ताओं ने सहमति जगाई।
दिग्विजय की फटकार के बाद नारायण त्रिपाठी अपने होटल पहुंचे और अपने कार्यकर्ताओं से बात की। कहा जा रहा है कि नारायण त्रिपाठी ने अपने कार्यकर्ताओं से पूछा क्या उन्हें भाजपा में वापस जाना चाहिए। जिस पर कार्यकर्ताओं ने सहमति जगाई।
नरोत्तम से हुई मुलाकात
इस घटना क बाद नारायण त्रिपाठी ने पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा से बात की और दिल्ली के लिए रवाना हो गए। बताया जा रहा है कि नरोत्तम मिश्रा ने यहां नारायण त्रिपाठी की मुलाकात पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और कार्रकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई नेताओं से कराई जिसके बाद नारायण त्रिपाठी संतुष्ठ होकर 14 अक्टूबर को भोपाल पहुंचे और 15 अक्टूबर को नरोत्तम मिश्रा के साथ भाजपा कार्यालय पहुंचे और कहा मैं भाजपा के हूं और भाजपा के साथ ही रहूंगा।
इस घटना क बाद नारायण त्रिपाठी ने पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा से बात की और दिल्ली के लिए रवाना हो गए। बताया जा रहा है कि नरोत्तम मिश्रा ने यहां नारायण त्रिपाठी की मुलाकात पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और कार्रकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई नेताओं से कराई जिसके बाद नारायण त्रिपाठी संतुष्ठ होकर 14 अक्टूबर को भोपाल पहुंचे और 15 अक्टूबर को नरोत्तम मिश्रा के साथ भाजपा कार्यालय पहुंचे और कहा मैं भाजपा के हूं और भाजपा के साथ ही रहूंगा।
दिग्विजय ने क्यों लगाई फटकार?
नारायण त्रिपाठी सतना जिले की मैहर विधानसभा सीट से विधायक हैं। विंध्य में कांग्रेस के बड़े नेता अजय सिंह राहुल भैया दिग्विजय सिंह के करीबी हैं, जबकि नारायण त्रिपाठी ब्राम्हण और ठाकुर की राजनीति के कारण अजय सिंह के कट्टर विरोधियों में शामिल हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में सतना से कांग्रेस ने अजय सिंह राहुल भैया को मैदान में उतारा था लेकिन ऐने मौके पर नारायण त्रिपाठी ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था। नारायण त्रिपाठी के भाजपा से शामिल होने से अजय सिंह को बड़ा झटका लगा था और वो लोकसभा चुनाव हार गए थे। अजय सिंह , दिग्विजय सिंह के करीबी नेताओं में शामिल हैं। जानकारों के अनुसार, नारायण त्रिपाठी को दिग्विजय सिंह ने इसलिए फटकार लगाई है क्योंकि अजय और नारायण के रिश्तों में तल्खियां हैं।
नारायण त्रिपाठी सतना जिले की मैहर विधानसभा सीट से विधायक हैं। विंध्य में कांग्रेस के बड़े नेता अजय सिंह राहुल भैया दिग्विजय सिंह के करीबी हैं, जबकि नारायण त्रिपाठी ब्राम्हण और ठाकुर की राजनीति के कारण अजय सिंह के कट्टर विरोधियों में शामिल हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में सतना से कांग्रेस ने अजय सिंह राहुल भैया को मैदान में उतारा था लेकिन ऐने मौके पर नारायण त्रिपाठी ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था। नारायण त्रिपाठी के भाजपा से शामिल होने से अजय सिंह को बड़ा झटका लगा था और वो लोकसभा चुनाव हार गए थे। अजय सिंह , दिग्विजय सिंह के करीबी नेताओं में शामिल हैं। जानकारों के अनुसार, नारायण त्रिपाठी को दिग्विजय सिंह ने इसलिए फटकार लगाई है क्योंकि अजय और नारायण के रिश्तों में तल्खियां हैं।
कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ी?
मध्यप्रदेश में इस समय किसी भी दल के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। भाजपा के दो विधायकों के बागी होने के बाद से कांग्रेस खुद को मजबूत मान रही थी। लेकिन भाजपा के दोनों विदायक अपनी-अपनी पार्टी के साथ खढ़े हो गए हैं। जिस कारण कमल नाथ सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
मध्यप्रदेश में इस समय किसी भी दल के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। भाजपा के दो विधायकों के बागी होने के बाद से कांग्रेस खुद को मजबूत मान रही थी। लेकिन भाजपा के दोनों विदायक अपनी-अपनी पार्टी के साथ खढ़े हो गए हैं। जिस कारण कमल नाथ सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
नारायण त्रिपाठी ने कांग्रेस पर बोला हमला
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए नारायण त्रिपाठी ने कहा- कांग्रेस में ना कोई नेतृत्व है और ना ही कोई सोच। मैहर का विकास मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। नारायण त्रिपाठी ने कहा- मैं झाबुआ जाऊंगा और वहां उपचुनाव में पार्टी के पक्ष में प्रचार करूंगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि मैं पार्टी लाइन के खिलाफ कभी नहीं गया और भाजपा जब चाहे मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरा सकती है।
विधानसभा में कांग्रेस के पक्ष में किया था वोट
बता दें कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराने का दावा करने वाली भाजपा का दांव उस वक्त उल्टा पड़ गया था। जब भाजपा 25 जुलाई को दो विधायकों ने सदन में दंड विधि (संशोधन) विधायक पर सरकार के पक्ष में वोटिंग की थी। भाजपा के दो विधायकों के कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग करने से कमल नाथ सरकार मजबूत हुई थी।
बता दें कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराने का दावा करने वाली भाजपा का दांव उस वक्त उल्टा पड़ गया था। जब भाजपा 25 जुलाई को दो विधायकों ने सदन में दंड विधि (संशोधन) विधायक पर सरकार के पक्ष में वोटिंग की थी। भाजपा के दो विधायकों के कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग करने से कमल नाथ सरकार मजबूत हुई थी।