भोपाल

जब संजय गांधी के साथ जेल में रहने के लिए जज पर फेंक दिया था पेपर, क्योंकि इंदिरा को सता रही थी ये चिंता, एक किस्सा

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का आज 76वां जन्मदिन है। 18 नवंबर 1946 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे कमलनाथ को देश और प्रदेश का दिग्गज राजनेता कहा जाता है। आज उनके 76वें जन्मदिवस पर हम आपको बताने जा रहे हैं उनके जीवन से जुड़ा एक दिलचस्प और रोचक किस्सा।

भोपालNov 18, 2022 / 12:38 pm

shailendra tiwari

भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का आज 76वां जन्मदिन है। 18 नवंबर 1946 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे कमलनाथ को देश और प्रदेश का दिग्गज राजनेता कहा जाता है। छिंदवाड़ा से 9 बार संसद पहुंचने के बाद वो साल 2018 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। आज कमलनाथ के जन्मदिवस पर देश-प्रदेश के दिग्गज उन्हें दीर्घायु होने की शुभकामनाएं दे रहे हैं। आज उनके 76वें जन्मदिवस पर हम आपको बताने जा रहे हैं उनके जीवन से जुड़ा एक दिलचस्प और रोचक किस्सा।

यहां आपको बता दें कि इंटरनेट पर कमलनाथ के बारे में जितनी भी जानकारियां उपलब्ध हैं, उनमें 1980 के बाद की तमाम बातें बताई गईं हैं, लेकिन कमलनाथ के जन्म दिनांक 18 नवंबर 1946 से लेकर 1980 तक कमलनाथ ने क्या किया? ये जानकारी गूगल पर भी उपलब्ध नहीं है। एक जानकारी में ये बात भी सामने आई कि, कमलनाथ की जाति खत्री पंजाबी है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, उनके पिता कानपुर के रहने वाले थे, लेकिन इस पर भी असमंजस बना हुआ है। कोई कहता है कि, वो व्यापारी थे, तो कोई मानता है कि, वह किसी संस्थान में नौकरी करते थे। लेकिन हकीकत क्या है, इसकी स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। यहां आपको इतना जरूर बताते चलें कि कमलनाथ की पत्नी और बेटे 23 बड़ी कंपनियों के मालिक हैं। हालांकि कमलनाथ के करीबी से मिली जानकारी के अनुसार, उनके पिता कानपुर के रहने वाले थे। कमलनाथ का जन्म भी कानपुर में ही हुआ था। लेकिन, नाथ के पिता क्या कारोबार करते थे, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं हैं।

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तब जानबूझकर जज से की लड़ाई, ताकि जा सकें जेल
आपातकाल के बाद 1979 में देश में जनता पार्टी की सरकार बनी थी। जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद संजय गांधी को एक मामले में कोर्ट ने तिहाड़ जेल भेज दिया था। जब संजय गांधी जेल पहुंचे तो इंदिरा गांधी संजय की देखभाल और सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित थीं। कहा जाता है कि तब कमल नाथ ने जान बूझकर एक जज से लड़ाई कर ली थी ताकि वे जेल जा सकें और संजय गांधी का ध्यान रख सकें। ऐसा हुआ भी जज से लड़ाई के चलते जज ने उन्हें भी अवमानना के मामले में सात दिन के लिए तिहाड़ भेज दिया गया। इस दौरान वो संजय गांधी के साथ रहे और उनकी देखभाल करते रहे।

सीएम ने ट्विट कर दी शुभकामनाएं
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी कमल नाथ को ट्विट कर जन्मदिन की बधाई दी है। उन्होंने बधाई देते हुए कहा कि ‘मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं! ‘

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कमलनाथ का राजनीतिक कद
यहां हम आपको बता रहे हैं, कांग्रेस के कद्दावर नेता, पूर्व केन्द्रीय मंत्री, छिंदवाड़ा से पूर्व सांसद, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और अब छिंदवाड़ा शहर की विधानसभा सीट के सदस्य की। उनके कद के बारे में बताने के लिए उनकी सिर्फ इतनी ही उपलब्धियां बता दी जाएं तो ये पार्टी और लोगों में उनके दर्जे की अहमियत बताना काफी होगा। बता दें कि, इंदिरा गांधी के जमाने से कमलनाथ गांधी परिवार के करीबी रहे हैं, इतने करीबी कि एक वक्तकहा जाता था कि, मध्य प्रदेश में बिना कमलनाथ की मंजूरी के कांग्रेस पार्टी में पत्ता भी नहीं हिल सकता।

इंदिरा गांधी मानती थीं तीसरा बेटा
अब बात करेंगे इस बारे में कि आखिर कमलनाथ को छिंदवाड़ा से इतना प्रेम क्यों है। इस बात का जवाब कमलनाथ के इस बयान में छिपा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि, वे इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे के समान हैं। इमरजेंसी के ठीक बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को खासा नुकसान हुआ। 25 जून, 1975 से लेकर 21 मार्च, 1977 तक भारत में इमरजेंसी लगी रही। इसी दौरान 23 जनवरी, 1977 को इंदिरा गांधी ने अचानक से ऐलान कर दिया कि, देश में चुनाव होंगे। 16 से 19 मार्च तक चुनाव हुए। 20 मार्च से काउंटिंग शुरू हुई और 22 मार्च तक लगभग सारे रिजल्ट आ गए। 1977 के चुनाव में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार समेत पूरा उत्तर भारत इंदिरा गांधी के खिलाफ था, लिहाजा जब नतीजे आए तो कांग्रेस को बुरी तरह हार मिली। कांग्रेस गठबंधन को मात्र 153 सीटें मिलीं, जबकि एकजुट हो चुके विपक्ष को 295 सीटें मिलीं थीं।

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हालात ये थे कि 1971 के चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी समाजवादी नेता राजनारायण को धूल चटाने वालीं इंदिरा गांधी अपनी परम्परागत सीट रायबरेली से बुरी तरह हारीं। लेकिन फिर भी इस निराशा के दौर में समूचे उत्तर और मध्यभारत में कांग्रेस हैरतअंगेज ढंग से दो सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही। एक थी राजस्थान की नागौर और दूसरी मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा संसदीय सीट। नागौर से नाथूराम मिर्धा और छिंदवाड़ा से गार्गीशंकर मिश्रा ने जीत हासिल की थी।
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तीन पीढिय़ों से साथ
कमल नाथ और गांधी परिवार का तीन पीढिय़ों से साथ है। संजय गांधी से कमल नाथ की दोस्ती थी तो, राजीव गांधी के भी वे करीबी रहे। कमल नाथ सोनिया गांधी और राहुल गांधी के भी सबसे भरोसेमंद साथी माने जाते हैं । मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत के बाद राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह कमल नाथ को मध्यप्रदेश की सत्ता सौंपी थी।

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1993 में एमपी के सीएम बनते- बनते रह गए
1993 में कमलनाथ के मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा जोरों पर थी, लेकिन ऐन मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुन सिंह ने दिग्विजय सिंह का नाम आगे कर दिया और कमलनाथ सीएम बनने से रह गए। 1996 में कमलनाथ पर हवाला कांड के आरोप भी लगे थे। उसके बाद उन्होंने सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया। उस वक्त कांग्रेस ने उनकी पत्नी अल्का नाथ को टिकट दिया, वे छिंदवाड़ा से चुनाव जीत तो गईं लेकिन अगले साल उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 1997 के उपचुनाव में कमलनाथ फिर चुनाव लड़े, लेकिन भाजपा के दिग्गज नेता सुंदरलाल पटवा ने उन्हें हरा दिया था। यही एक चुनाव था, जब कमलनाथ हारे थे।

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केंद्र सरकार में कई बार मंत्री रहे
कमलनाथ पहली बार 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार में मंत्री बने। 1991 से 1994 तक वह केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री रहे। 1995 से 1996 कपड़ा मंत्री, 2004 से 2008 तक मनमोहन सिंह की सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, 2009 से 2011 तक केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री, 2012 से शहरी विकास मंत्री और 2014 तक संसदीय कार्य मंत्री रहे।

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