पत्रिका ने उठाया था पर्यावरण का मुद्दा
जिला और निगम प्रशासन ने नेताओं की शह पर अक्टूबर 2018 में भदभदा मंडी कलियासोत डैम के अंदर शिफ्ट करवा दी थी। इसके लिए 200 से अधिक पेड़ों की बलि ली गई। पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर पत्रिका ने लगातार समाचार प्रकाशित कर जिम्मेदारों को चेताया था।
अस्थायी थी शिफ्टिंग, अब कब्जा छोडऩे तैयार नहीं
प्रशासन ने कहा था कि मंडी के लिए नीलबड़ में जमीन आरक्षित की गई है, यह शिफ्टिंग अस्थाई है। इस बात को एक साल बीतने पर भी नीलबड़ में मंडी विकसित करने या शिफ्टिंग के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। दरअसल, कुछ रसूखदार लोग और व्यापारी मंडी को कलियासोत डैम के अंदर ही बनाए रखना चाहते हैं। इसलिए नीलबड़ में विकास या शिफ्टिंग के लिए कवायद नहीं की जा रही है।
कलियासोत डैम का बैक वॉटर शहर के सबसे साफ जलाशयों में है। इसमें कोई नाला या बाहरी गंदगी नहीं मिलती है। बांध के अंदर मंडी लगने के बाद से प्रतिदिन सैकड़ों किलो पॉलीथिन, पाउच से लेकर सब्जियों का कचरा और तमाम तरह की गंदगी यहां फैलाई जा रही थी। भदभदा के गेट खोले जाने के पहले यहां बड़े पैमाने पर अभियान भी नहीं चलाया गया।
नाले का स्लैब धंसा: भोपाल टॉकीज चौराहे के पास नाले के एक हिस्से का स्लैब आधा फीट धंस गया है। नाला शाहजहांनाबाद की तरफ जाने वाले रास्ते में ट्रैफिक सिग्नल के पास से गुजरा है। ट्रैफिक डीएसपी मनोज खत्री ने बताया कि स्लैब कई दिनों से धंस रहा है, हादसे की आशंका है।
संजय श्रीवास्तव, एसडीएम, टीटी नगर
नीलबड़ की जगह बहुत दूर है वहां जाएंगे तो पूरी ग्राहकी मारी जाएगी। वहां जाकर व्यापार करना संभव नहीं है, इसलिए हम आसपास जमीन मांग रहे हैं।
हरि खटीक, उपाध्यक्ष, भदभदा, थोक सब्जी मंडी