सिंधिया के पास था पश्चिमी यूपी का प्रभार
लोकसभा चुनाव से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी का महासचिव बनाया गया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभार दिया गया था। यूपी में भी कांग्रेस प्रदर्शन बेहद खराब था। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को केवल एक सीट पर जीत मिली थी। खुद राहुल गांधी अमेठी से अपना चुनाव हार गए थे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया 2019 के लोकसभा चुनाव में गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से अपना चुनाव हार गए थे। गुना-शिवपुरी संसदीय सीट को सिंधिया परिवार का गढ़ माना जाता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया, सिंधिया परिवार के पहले नेता हैं जिन्हें गुना-शिवपपरी संसदीय सीट से हार का सामना करना पड़ा है। इससे पहले इस सीट से उनकी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया और पिता माधवराव सिंधिया भी सांसद रह चुके हैं। खुद सिंधिया यहां से 2002 से लगातार सांसद थे लेकिन 2019 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए महासचिव पद से इस्तीफा दिया है।
मध्यप्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को केवल छिंदवाड़ा संसदीय सीट पर जीत मिली है। जबकि 2014 में कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी के महासचिव पद स अपना त्याग पत्र दिया है।
बन सकते हैं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष
ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस ( Congress ) में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से कौन होगा अगला अध्यक्ष इसे लेकर मंथन जारी है। हालांकि अभी तक यह फैसला नहीं हुआ है। लेकिन पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ( Captain Amarinder Singh ) ने यह मांग की है कि पार्टी को युवा नेतृत्व चाहिए। कैप्टन अमरिंदर सिंह की इस मांग के बाद पार्टी के कई युवा चेहरे रेस में आ गए हैं। जिसमें राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया सबसे आगे चल रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया अभी पार्टी के युवा नेता हैं।