ज्योतिरादित्य सिंधिया परंपरा अनुसार उर्स में जाते रहे हैं और यहां इबादत भी करते हैं। मंसूर शाह औलिया की दरगाह पर इबादत के बाद उन्होंने बताया कि हमने बाबा की पूजा अर्चना की और परिवार के साथ ही अंचल की खुशहाली, सुख शांति की प्रार्थना करते हुए उनसे आशीर्वाद मांगा।
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गोरखी मंदिर में बाबा मंसूर शाह के उर्स के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया हर साल आते हैं। क्षेत्रवासियों के सुख एवं समृद्धि की कामना करते हुए वे इबादत भी करते हैं। सिंधिया का कहना है कि बाबा का आशीर्वाद लेने आने से एक नई ऊर्जा महसूस होती है।
गोरखी मंदिर में बाबा मंसूर शाह के उर्स के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया हर साल आते हैं। क्षेत्रवासियों के सुख एवं समृद्धि की कामना करते हुए वे इबादत भी करते हैं। सिंधिया का कहना है कि बाबा का आशीर्वाद लेने आने से एक नई ऊर्जा महसूस होती है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि इस क्षेत्र के लोगों और सिंधिया परिवार पर बाबा मंसूर शाह का आशीर्वाद सदैव बना रहा है। सिंधिया ने यहां लोभान से पूजा की। बताया जाता है कि बाबा मंसूर शाह महाराष्ट्र के बीड़ के निवासी थे। उन्हें सिंधिया राजवंश का कुलगुरु भी माना जाता है। कहा जाता है कि एक बार महादजी सिंधिया युद्ध में गए लेकिन लौटे नहीं। महारानी ने मंसूर शाह औलिया के पास जाकर प्रार्थना की। कुछ दिनों बाद महादजी सिंधिया घायल अवस्था में महल लौट आए। इसके बाद सिंधिया राजवंश सूफी संत मंसूर शाह को आराध्य के रूप में पूजने लगा।