मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खूब मेहनत की थी। सिंधिया को उम्मीद थी कि उन्हें सीएम पद की कुर्सी मिलेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह कमलनाथ को मध्यप्रदेश में सीएम पद की कुर्सी सौंपी गईं। सिंधिया को लोकसभा चुनावों से पूर्व पश्चिम उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें मध्य प्रदेश की राजनीति से दूर कर दिया।
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मध्यप्रदेश की राजनीति से दूर रहे सिंधिया ने पश्चिमी यूपी में भी पार्टी को कोई खास कामयाबी नहीं दिला पाए। कांग्रेस पार्टी इस इलाके में एक भी सीट नहीं जीत पाई। और तो और मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ते रहे हैं। पहली बार ऐसा हुआ कि वे खुद चुनाव हार गएं।
मध्यप्रदेश की राजनीति से दूर रहे सिंधिया ने पश्चिमी यूपी में भी पार्टी को कोई खास कामयाबी नहीं दिला पाए। कांग्रेस पार्टी इस इलाके में एक भी सीट नहीं जीत पाई। और तो और मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ते रहे हैं। पहली बार ऐसा हुआ कि वे खुद चुनाव हार गएं।
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ज्योतिरादित्य सिंधिया लोकसभा चुनाव में बुरी तरह से फ्लॉप हुए हैं। खुद को साबित करने के लिए उनके पास एक और मौका है। अब उनका नया इम्तिहान होने वाला है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चार विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने हैं। इन सीटों के विधायक इस बार सांसद बन गए हैं, उसके बाद ये सीटें खाली हुई हैं। रामपुर से सपा के आजम खान, इगलास से बीजेपी के राजबीर सिंह दलेर, गंगोह से बीजेपी के प्रदीप चौधरी और टुंडला से बीजेपी के एसपी सिंह बघेल सांसद बने हैं। ये सभी सीटें सिंधिया के प्रभार वाले इलाके में हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया लोकसभा चुनाव में बुरी तरह से फ्लॉप हुए हैं। खुद को साबित करने के लिए उनके पास एक और मौका है। अब उनका नया इम्तिहान होने वाला है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चार विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने हैं। इन सीटों के विधायक इस बार सांसद बन गए हैं, उसके बाद ये सीटें खाली हुई हैं। रामपुर से सपा के आजम खान, इगलास से बीजेपी के राजबीर सिंह दलेर, गंगोह से बीजेपी के प्रदीप चौधरी और टुंडला से बीजेपी के एसपी सिंह बघेल सांसद बने हैं। ये सभी सीटें सिंधिया के प्रभार वाले इलाके में हैं।
ऐसे में खुद को साबित करने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास बेहतर मौका है। क्योंकि सिंधिया के प्रभार वाले इलाके में छह सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं। इनमें से पांच सीटों पर बीजेपी और एक पर सपा काबिज थी। इनमें से किसी सीट पर कांग्रेस का कोई उम्मीदवार चुनाव नहीं जीता है। अगर सिंधिया इन सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस को सफलता दिलाते हैं तो खुद को पार्टी के अंदर फिर से साबित कर सकते हैं।
प्रदेश अध्यक्ष बनाने की चर्चा
गुना संसदीय क्षेत्र से हार के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक यह लगातार मांग कर रहे थे कि उन्हें मध्यप्रदेश का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाए। हालांकि इस पर फैसला केंद्रीय नेतृत्व को लेना है। अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। मध्यप्रदेश कांग्रेस पद के अध्यक्ष की जिम्मेवारी अभी भी सीएम कमलनाथ के पास ही हैं।
गुना संसदीय क्षेत्र से हार के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक यह लगातार मांग कर रहे थे कि उन्हें मध्यप्रदेश का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाए। हालांकि इस पर फैसला केंद्रीय नेतृत्व को लेना है। अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। मध्यप्रदेश कांग्रेस पद के अध्यक्ष की जिम्मेवारी अभी भी सीएम कमलनाथ के पास ही हैं।
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उपचुनाव में कांग्रेस ने फैसला कर लिया है कि यूपी के सभी सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी। ऐसे में सपा और बसपा भी इस बार अलग चुनाव लड़ने वाली है। जाहिर है ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास एक बार फिर से एक बेहतर मौका है कि वह अपने कुशल नेतृत्व का यहां परिचय दें।
उपचुनाव में कांग्रेस ने फैसला कर लिया है कि यूपी के सभी सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी। ऐसे में सपा और बसपा भी इस बार अलग चुनाव लड़ने वाली है। जाहिर है ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास एक बार फिर से एक बेहतर मौका है कि वह अपने कुशल नेतृत्व का यहां परिचय दें।