उन्होंने 53 वर्ष की उम्र में एशिया के बाहर सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट अकोंकागुआ की 6962 मीटर (22841 फीट) की ऊंचाई पर तिरंगा फहराकर कीर्तिमान बनाया है। गौरतलब है कि माउंट अकोंकागुआ पर चढ़ाई शुरू करने से पहले ज्योति ने अर्जेंटीना और चिले बोर्डर पर स्थित माउंट बरमाऊ 4300 मीटर पीक पर भी विजय प्राप्त की है।
ऑक्सीजन का स्तर 50 प्रतिशत भी नहीं था
ज्योति रात्रे ने बताया कि अकोंकागुआ पर चढ़ाई के दौरान मौसम भी खराब हुआ। बेस कैंप पर दो दिन अतिरिक्त रूकी। तब लगा कि यहीं से वापस लौटना पड़ेगा लेकिन हार नहीं मानी और मौसम ठीक होते ही आगे निकल पड़ी। अंतिम चरण में कैंप-3 से चोटी पर पहुंचने के लिए रात 2.30 बजे -20 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक ठंड में तेज हवाओं के बीच चढ़ाई शुरू कर लगभग दोपहर 12 बजे वे चोटी पर पहुंची। शाम 5 बजे वापस कैंप-3 पर आ गई। इस तरह अंतिम दिन 950 मीटर की चढ़ाई कर लगातार 14 घंटे कड़ी मेहनत कर बगैर ऑक्सीजन के यह सफलता प्राप्त की जबकि उस ऊंचाई पर ऑक्सीजन का स्तर 50 प्रतिशत भी नहीं रहता है।
तीन महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर विजय प्राप्त की है
ज्योति रात्रे 19 दिसम्बर को भोपाल से अकेले दक्षिण अमेरिका के अर्जेंटीना में स्थित एंडेस पर्वत शृंखला की सबसे ऊंची चोटी 6962 मीटर (22841 फीट) पर चढऩे का सपना लेकर निकली थीं। माउंट अकोंकागुआ वहां के अप्रत्याशित मौसम, तेज हवाओं के कारण काफी कठिन माना जाता है। ज्योति रात्रे इसके पहले अफ्रीका एवं यूरोप महाद्वीप की सर्वाधिक चोटी क्रमश: माउंट किलिमंजारो एवं माउंट एलब्रुस पर विजय प्राप्त कर चुकी हैं। विश्व के सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर चढऩे का सपना देखने वाली ज्योति अब तीन महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर विजय प्राप्त कर चुकी हैं। ज्योति तीन जनवरी को शिखर पर भारतीय तिरंगा फहराने के बाद अभी आर्जेंटीना के मेंडोजा शहर में ही हैं। वे 13 जनवरी को अर्जेंटीना से भोपाल आ रही हैं।