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कोरोना संकट के बीत अपनी जांन जोखिम में डालकर काम कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने 23 दिन पहले भी हड़ताल की थी, तब प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग कुछ मांग मानने के आश्वाशन के बाद हड़ताल खत्म हो गई थी। मंत्री के साथ स्वास्थ विभाग के अधिकारियों भी मौजूद थे उस समय जूड़ा ने 6 सूत्रीय मांगों पूरा करने के लिये सरकार को अल्टीमेटम दिया था। लेकिन, 23 दिन बाद भी जब मांग पूरी नहीं हुई तो जूड़ा ने प्रदेशव्यापी हड़ताल शुरु कर दी। जूनियर डॉक्टर्स की मांग है कि वह कोरोना संक्रमण के बीच लोगों की सेवा कर रहे हैं इस दौरान उनके कई साथियों को जान से हाथ भी धोना पड़ा है एसी विपरीत स्थिति में भी सरकार अपने वादे से मुकर गई है।
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कोविड उपचार प्रभावित
मध्य प्रदेश के 6 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं जिनमें करीब 2500 जूनियर डॉक्टर हैं। मध्य प्रदेश में सोमवार को सुबह 8 बजे से एक साथ जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाएं बंद कर दीं। अगर सरकार नहीं मानी तो कल यानि मंगलवार से डूनियर डॉक्टर्स कोविड वार्ड में ड्यूटी नहीं करेंगे। जूडा की हड़ताल होने से आपात सेवाएं प्रभावित होने लगी हैं। कोरोना संकट में काम करने के दौरान जूडा की सबसे अहम मांग स्टाइफंड को बढ़ाना।