गौरतलब है कि कड़कनाथ मुर्गे की एक दुर्लभ प्रजाति है। काले रंग का यह मुर्गा दूसरी प्रजाति के मुर्गों से ज्यादा स्वादिष्ट, पौष्टिक, सेहतमंद और कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बाकी मुर्गों में जहां 18 से 20 प्रतिशत तक प्रोटीन होता है, वहीं कड़कनाथ में 25 फीसदी प्रोटीन पाया जाता है। कोरोनाकाल में इम्युनिटी बूस्टर के रूप में झाबुआ का कड़कनाथ मुर्गा दुनियाभर में फेमस हुआ है।
PM मोदी भी दिखा चुके हैं इंट्रेस्ट, किसानों से पूछा था कैसा है ‘कड़कनाथ’
दो हजार चूजे रांची पहुंचे
महेंद्र सिंह धोनी झारखंड में स्थित अपने फॉर्म हाउस पर इन चूजों को भी पाल रहे हैं। झाबुआ और थांदला से दो हजार चूजों की एक बड़ी खेप रांची पहुंच गई। क्रिकेट जगत को अलविदा कहने के बाद अब वे फुर्सत के क्षणों में फार्मिंग पर ध्यान दे रहे हैं। रांजी में वे खेती करने में भी लगे हैं। धोनी ने अपने फार्म हाउस पर कड़कनाथ मुर्गों के लिए प्लांट तैयार किया है, जहां वे इन मुर्गों को पाल रहे हैं। धोनी ने इसके लिए मध्यप्रदेश के झाबुआ और थांदला से कड़कनाथ मंगाए हैं। थांदला के रहने वाले विनोद मेढ़ा कहते हैं कि धोनी ने दो हजार चूजे मंगवाए थे, जिन्हें वे अपने रांजी के फॉर्म हाउस में पाल रहे हैं।
अब धोनी पालेंगे ‘कड़कनाथ’, रांची बुलवाए दो हजार चूजे
क्या ब्रांड एंबेसेडर बनेंगे
धोनी की ओर से कड़कनाथ पालने की खबर के बाद अब इसकी मार्केटिंग और भी बढ़ गई है। इस बात की भी चर्चा हो रही है कि प्रदेश सरकार धोनी को कड़कनाथ का ब्रांड एंबेसेडर बना सकती है। मध्यप्रदेश के अपर मुख्य सचिव जेएन कसौटिया कहते हैं कि धोनी ने कड़कनाथ के चूजे जरूर बुलवाए हैं पर उन्हें ब्रांड एंबेसेडर बनाने पर फिलहाल कोई विचार नहीं चल रहा है।
इम्युनिटी बूस्टर है कड़कनाथ
मध्यप्रदेश के झाबुआ और थांदला में बड़ी मात्रा में कड़कनाथ पाए जाते हैं। दावा किया जाता है कि कड़कनाथ को खाने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यही वजह है कि कोरोनाकाल में कड़कनाथ की डिमांड बढ़ी है।
मोदी भी ले चुके हैं जानकारी
जून 2018 में पीएम मोदी ने देश के किसानों से नमो एप के जरिए संवाद किया था। इस दौरान उन्होंने मध्यप्रदेश के किसानों से भी बात की थी। बातचीत के दौरान मोदी ने झाबुआ के किसानों को केंद्र की योजनाओं के बारे में बताया। इस दौरान मोदी ने किसानों की फसलों से कड़कनाथ मुर्गे के बारे में भी पूछा था। किसानों ने उन्हें बताया था कि उन्होंने कड़कनाथ पालकर उस पैसे से अपने बच्चों की पढ़ाई पूरी कराई।