खास बात है कि ये सभी बच्चे प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों से हैं, जो सुपर 100 योजना के तहत इस स्कूल में अध्ययन कर रहे हैं। मेहनत और लगन को मिली इस सफलता के बाद सभी विद्यार्थी मंगलवार शाम प्राचार्य सुधाकर पाराशर के साथ स्कूल मैदान में इकट्ठे हुए तो सभी के चेहरों की चमक देखने लायक थी।
बच्चों ने लगातार मेहनत की है। मेन्स के बाद अब हमारा फोकस जेईई एडवांस एग्जाम पर है। हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक विद्यार्थी सफलता के पथ पर अग्रसर हों।
सुधाकर पराशर, प्राचार्य, शासकीय सुभाष उत्कृष्ट विद्यालय
पिता ने होटल में काम कर करवाई पढ़ाई
जेईई में 95.5 परसेंटाइल लाने वाले विवेक मिश्रा के पिता रमेश मिश्रा नागपुर की एक होटल में काम करते हैं। सीधी में परिवार की महज दो एकड़ जमीन है। जमीन से परिवार का गुजारा नहीं हुआ तो रमेश नागपुर जाकर होटल में काम करने लगे।
बड़ा भाई शरद मेधावी होने के बावजूद ज्यादा नहीं पढ़ पाया। आठवीं तक गांव में पढ़े विवेक ने 10वीं की परीक्षा सीधी से दी और 95.5 परसेंट पाए। इसके बाद उसका चयन सुपर 100 में हो गया। यहां दो साल रहकर तैयारी की और जेईई मेन्स में सफलता हासिल की।
विपरीत परिस्थितियों से नहीं मानी हार
लालटेन की लौ से चमका ध्रुव
शहडोल के पास सत्ता गांव में सोन नदी के पास बसा धु्रव का गांव लगभग हर साल बाढ़ की चपेट में आता है। धु्रव का घर बाढ़ की विभीषिका झेलता है। पिता श्रवण मिश्रा पुजारी हैं। परिवार के पास एक एकड़ से कम जमीन है। गांव की हालत ऐसी कि बिजली यदा-कदा ही रहती है। गांव से पांच किमी दूर माध्यमिक स्कूल जाने के लिए सडक़ नहीं है।
धु्रव ने कभी पेड़ के नीचे तो कभी लालटेन में पढ़ाई की। 10 वीं में 91 प्रतिशत अंक आए तो सुपर 100 की राह खुली। धु्रव ने बताया कि प्रिंसपल सर का सपोर्ट नहीं होता तो कुछ नहीं हो पाता। एक ही इच्छा है, छोटी बहन को बेहतर शिक्षा दिलवाने की व्यवस्था कर उसका भविष्य उज्जवल कर सकूं।