अब यह प्रस्ताव कैबिनेट बैठक में आएगा। परिषद को बंद करने के लिए सरकार ने 2007 से 2018 तक की ऑडिट रिपोर्ट को अहम कारण बनाया है। सरकार का मानना है कि जो पैसा परिषद को दिया गया, उसका उपयोग दूसरे कार्यों में किया गया। इसके चलते परिषद अपना लक्ष्य पाने में विफल रही। वहीं, मंत्रिमंडल समिति ने तर्क दिया है कि जन अभियान परिषद और एप्को (पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन) के उद्देश्य एक जैसे हैं। दोनों पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्थाएं हैं, इसलिए परिषद की आवश्यकता नहीं है। जबकि, जन अभियान परिषद पर्यावरण संरक्षण के साथ ही अन्य सामाजिक कार्य करने वाली संस्था है।
यहां हैं पेंच
पिछली प्रदेश सरकार ने 24 सितंबर 2018 जन अभियान परिषद के 416 कर्मचारियों को किया था। ये सभी 12 वर्षों से संविदा पर काम कर रहे थे। सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार इन कर्मचारियों पर मध्यप्रदेश सिविल सेवा अधिनियम 1961 लागू किया गया। इस लिहाज से इन्हें एक-दो माह का वेतन देकर वीआरएस देने के प्रस्ताव पर सवाल उठ रहे हैं। इसके साथ ही व्यापमं की परीक्षा के जरिए 14 कंप्यूटर ऑपरेटर परिषद में भर्ती हुए थे। उनके साथ चयनित होकर दूसरे विभागों में पहुंचे कंप्यूटर ऑपरेटर नियमित हैं, लेकिन परिषद इन्हें भी वीआरएस देने जा रहा है।
कर्मचारियों में विरोध
परिषद के कर्मचारी वीआरएस के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार अगर परिषद बंद करना चाहती है तो नियमित कर्मचारियों को किसी अन्य विभाग में किया जाना चाहिए।
ये दो फॉर्मूले तय किए
– परिषद के कुछ कर्मचारियों को सरकार ने वर्कमैन माना है। इन्हें तीन माह का अग्रिम वेतन देकर हटाने का नोटिस दिया जाएगा। पांच साल से अधिक सेवा कर चुके कर्मचारियों को प्रतिवर्ष 15 दिन के हिसाब से अलग से वेतन भी दिया जाएगा।
– वे कर्मचारी जो कारीगर की श्रेणी में नहीं माने गए हैं, उन्हें एक माह का वेतन देकर नोटिस थमाया जाएगा।
परिषद का गठन सामाजिक संगठनों की क्षमता का विकास करने और उसके माध्यम से कई तरह के जनसेवा के लिए किया गया था। हम सरकार के इस निर्णय का विरोध करेंगे।
– शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री
परिषद और उसके कर्मचारियों के संबंध में अगली गवर्निंग बॉडी में निर्णय होगा। कर्मचारियों को लेकर अलग-अलग प्रस्ताव है। गवर्निंग बॉडी जो तय करेगी उसे लागू किया जाएगा।
– जितेंद्र सिंह राजे, कार्यपालक निदेशक, जन अभियान परिषद
परिषद का गठन तत्कालीन सीएम दिग्विजय सिंह ने किया था। हमें सरकार से न्याय की उम्मीद है कि वो 416 कर्मचारी के भविष्य को देखते हुए निर्णय करेगी।
– सैयद साकिर अली जाफरी, उपाध्यक्ष, जन अभियान परिषद कर्मचारी संघ