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भोपाल

संभलना जरूरी, आठ साल में रोशनी खर्च करने में बेकाबू हुए हम

——————————- प्रदेश में 333 और देश में 294 किलोवॉट प्रति व्यक्ति बढी बिजली की खपत- कोयले की भारी किल्लत, थर्मल बिजली की खपत पर नियंत्रण जरूरी- दिल्ली और चंडीगढ जैसे राज्यों ने खपत पर किया बेहतर नियंत्रण——————————

भोपालOct 28, 2021 / 10:07 pm

जीतेन्द्र चौरसिया

bijali

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जितेन्द्र चौरसिया, भोपाल। मध्यप्रदेश और पूरे देश में जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक उपकरणों का उपयोग और विकास बढ रहा है, वैसे-वैसे बिजली की खपत बढती जा रही है। प्रदेश में बीते आठ सालों में 333 किलोवॉट बिजली की खपत प्रति व्यक्ति बढी है। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह खपत 294 किलोवॉट प्रति व्यक्ति बढी है। दिलचस्प ये कि दिल्ली जैसे कुछ राज्यों ने इस स्थिति पर नियत्रंण की बेहतर कोशिश की है, लेकिन मध्यप्रदेश सहित अधिकतर राज्यों में खपत पर कोई नियंत्रण नहीं है। ऐसी ही स्थिति रहने पर आने वाले समय में बिजली का परिदश्य बेहद विकराल व महंगा हो सकता है। वजह ये कि थर्मल बिजली की तेजी से बढती मांग व खपत के कारण राष्ट्रीय स्तर पर ही उपलब्धता नहीं हो पा रही है। उस पर जिस तेजी से मांग बढ रही है, उस तेजी से संसाधन व उत्पादन नहीं बढ पा रहे हैं। कोयला सीमित होने के कारण थर्मल से दूसरी बिजली पर शिफ्ट होने की स्थिति बन रही है। हाल ही में कोयले के संकट ने पूरे देश में थर्मल बिजली के उत्पादन को कई प्लांटों में ठप कर दिया था, जिससे बिजली संकट छाया। इसी कारण सौर ऊर्जा पर जोर दिया गया है। बावजूद इसके अब राष्ट्रीय स्तर पर यह चिंतन शुरू हुआ है कि बिजली की खपत को काबू करना होगा। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने बिजली की खपत के डाटा तैयार किए, तो उसमें भी खपत में तेजी से बढोत्तरी सामने आई है।
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दिल्ली-चंडीगढ ने घटा दी खपत-
दिलचस्प ये कि दिल्ली और चंडीगढ ने इस खपत को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के डाटा के मुताबिक दिल्ली में 2012 में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 1613 किलोवॉट या यूनिट प्रति घंटे थी, जबकि 2020 में यह नियंत्रित करके 1572 हो गई। इस साल 2021 में इसमें फिर बढोत्तरी हुई है। इसी तरह चंडीगढ 2012 में 1166 खपत थी, जो 2020 में 986 दर्ज की गई है।
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साउथ के राज्यों में खपत ज्यादा पर बेहतर हालात-
मध्यप्रदेश की तुलना में साउथ के राज्यों में खपत ज्यादा है, लेकिन फिर भी वहां उत्पादन और आपूर्ति दोनों की स्थिति बेहतर है। कर्नाटक, केरल, तमिलनाडू व आंधप्रदेश को बिजली के मामले में मध्यप्रदेश से बेहतर माना जाता है। साउथ के राज्यों में 2020 में औसत खपत कर्नाटक में 1468, आंध्र में 1507, केरल में 826 और तमिलनाडू में 1844 किलोवाट प्रति व्यक्ति दर्ज की गई हैं।
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खपत बढऩे के प्रमुख कारण-
– लगातार इलेक्ट्रिक उपकरणों का बढऩा
– ई-व्हीकल में तेजी से बढ़ोत्तरी होना
– औद्योगिकीकरण के क्षेत्र का विकास
– आबादी और सिंचाई का तेजी से बढऩा
– ऊर्जा बेस्ड लक्जरी लाइफ के संसाधनों का बढऩा
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आगे मध्यप्रदेश की जरूरत-
मध्यप्रदेश की आगे के दस साल की बिजली की जरूरत को करीब 26 हजार मेगावाट माना गया है, जबकि वर्तमान में पीक ऑवर्स में ही मांग 12 हजार मेगावाट से ज्यादा नहीं रहती। चुनिंदा अवसरों पर ही मांग 14 हजार मेगावाट तक पहुंची है। सामान्य तौर पर 9 हजार मेगावाट तक ही मांग रहती है। अब 26 हजार मेगावाट बिजली की जरूरत के हिसाब से आगे प्लान हो रहा है, वजह ये कि अभी इतनी बिजली की आपूर्ति की स्थिति नहीं है। मप्र ने 21 हजार मेगावाट उपलब्धता के हिसाब से निजी कंपनियों से एमओयू किए हैं, लेकिन कोयले की कमी से निजी सेक्टर भी बिजली देने की स्थिति में नहीं।
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कारगर नहीं रहे बचत के सारे कैम्पेन-
देश और मध्यप्रदेश में बिजली की बचत के अनेक कैम्पेन चले, लेकिन बिजली की बढ़ती जरूरत और लापरवाही के आगे ये कारगर साबित नहीं हुए हैं। मध्यप्रदेश में भी ऊर्जा संरक्षण को लेकर कई जागरूकता अभियान चलाए गए, लेकिन खपत में लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।
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पड़ोसी छग के ऐसे हाल-
बिजली की प्रति व्यक्ति खपत के मामले में छग हमसे आगे हैं। हमारे यहां 1086 यूनिट या किलोवॉट प्रति व्यक्ति खपत दर्ज है, तो छत्तीसगढ़ में यह 2044 है।
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बिजली की खपत प्रति व्यक्ति- (किलावॉट में )
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वर्ष- देश में- मध्यप्रदेश- दिल्ली- गुजरात- महाराष्ट्र-राजस्थान-उत्तरप्रदेश- छग
2012-13- 914- 753- 1613- 1796- 1239- 982- 450- 1495-
2013-14- 957- 764- 1446- 1973- 1183- 1011- 472- 1601-
2014-15- 1010- 813- 1561- 2105 1257- 1123- 502- 1719-
2015-16- 1075- 929- 1557- 2248- 1318- 1164- 524- 2022-
2016-17- 1122- 989- 1574- 2279- 1307- 1166- 585- 2016-
2017-18- 1149- 1020- 1564- 2321- 1371- 1178- 628- 2003-
2018-19- 1181- 1084- 1548- 2378- 1424- 1282- 606- 1961-
2019-20- 1208- 1086- 1572- 2388- 1418- 1317- 629- 2044-
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बिजली की आपूर्ति- (औसत 2020- मेगावाट में अधिकतम)
वर्ष- देश- मप्र- दिल्ली- गुजरात- महाराट्र- राजस्थान- उत्तरप्रदेश- छग
मांग- 179098 -14886- 5226- 16538 – 24550- 14277- 16777- 4033
आपूर्ति- 176387 -14855- 5226- 16538 – 24550- 14277- 16627- 4026
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स्त्रोत- केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण का एनर्जी डाटा।
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