एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश के इंदौर से एमपी एटीएस और केंद्रीय एजेंसियों ने नायक क्लर्क अविनाश को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद अविनाश ने एजेंसियों के समक्ष अपना जुर्म भी कबूल किया था। आईएसआई अब खुफिया जानकारी के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल कर रही है।
पहले उनकी नजर सेना के बड़े अधिकारियों के ऊपर होती है। अगर वे जाल में नहीं फंसते हैं तो उनके इर्द-गिर्द काम करने वाले लोगों को टारगेट किया जाता है। अविनाश को भी ऐसे ही ट्रैप किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आईएसआई ने पूर्वोत्तर में तैनात सेना के एक बड़े अधिकारी को अपने ग्रिप में लेने की कोशिश के लिए जाल बिछाया। लेकिन वह मिशन कामयाब नहीं हुआ था 2018 में अविनाश को टारगेट पर लिया।
अविनाश के अनुसार 2018 में उसके पास ऑफिस में आर्मी मुख्यालय से फॉरवर्ड किया गया एक फोन आया था। फोन करने वाली महिला थी, उसने खुद का परिचय आर्मी वाइव्ज वेलफेअर एसोसिएशन का एक सदस्य बताया। वह फोन पर अविनाश से बोली कि सैन्य अधिकारी से बात करनी है लेकिन उस वक्त वह ऑफिस में मौजूद नहीं थे। यहीं से अविनाश आईएसआई के लपेटे में आ गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूछताछ में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि अविनाश को उस कॉल पर इस लिए शक नहीं हुआ कि वह आर्मी एक्सचेंज से आया था और उस महिला से उसने बातचीत शुरू कर दी। बातचीत के दौरान ही आईएसआई की एजेंट अविनाश से बोली कि आवाज साफ नहीं आ रही है अपना मोबाइल नंबर दीजिए।
नायक क्लर्क अविनाश को इस पर कोई संदेह नहीं हुआ और उसने अपना नंबर दे दिया। यहीं से वह उसकी मीठी-मीठी बातों में फंसता चला गया। फोन के जरिए शुरू हुई बातचीत सोशल मीडिया तक पहुंच गई। फिर दोनों के बीच अश्लील बातचीत होने लगी। अब अविनाश हसीना के हुस्न के चक्कर में बिल्कुल लट्टू हो गया था। ऐसे ही बातचीत के जरिए वो महिला अविनाश से सेना की महत्वपूर्ण जानकारियां लेने लगी।
एटीएस सूत्रों के अनुसार उस महिला ने अविनाश को अपना नाम प्रीषा अग्रवाल बताया था। वह पूर्व में भी कई सैन्य अधिकारियों को फंसाने की कोशिश की थी। जांच में यह भी बात सामने आई है कि अविनाश के खाते में विभिन्न जगहों से पचास हजार रुपये डाले गए थे। कहा जा रहा है कि ये राशि संभवत: पाकिस्तानी हैंडलरों के द्वारा डाला गया हो।