मध्यप्रदेश पुलिस की अधिकारी और वर्तमान में एसएएफ 23वीं बटालियन की कमांडेंट सिमाला प्रसाद की फिल्म रिलीज हो गई है। नक्काश से पहले वह फिल्म आलिफ में नजर आईं थी। नक्काश में एक्टर इनामुलहक लीड रोल में हैं। फिल्म में उनके किरदार का नाम अल्लाह रक्खा है। वो हिंदू मंदिरों में नक्काशी का काम करता है। इसलिए अल्लाह को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। समाज के लोग नहीं चाहते हैं कि एक मुस्लिम हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर में काम करे। नक्काश में पत्रकार का किरदार निभा रहीं सिमाला उसी अल्लाह रक्खा का इंटरव्यू करती हैं।
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दरअसल, इस फिल्म के डायरेक्टर जैगम इमाम इससे पहले अलिफ और दोजख जैसी फिल्में दे चुके हैं। कहानी यह है कि एक आदमी उत्तर प्रदेश के बनारस में रहता है। मंदिर में नक्काशी करने के काम उसे महारत हासिल है। मंदिर का पुजारी भी दावा करता है कि इस काम में उससे ज्यादा हुनरमंद कोई और नहीं है। लेकिन उसके धर्म को लेकर लोगों को परेशानी होती है। अल्लाह रक्खा के इस काम से उसके मजहब के लोग भी खफा रहते हैं और कहते हैं कि वो काफिरों की इबादतगाह में काम करता है। वहीं, हिंदू धर्म के भी कुछ लोगों को अल्लाह से अपच होती है। बाकी की स्टोरी आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा।
दरअसल, इस फिल्म के डायरेक्टर जैगम इमाम इससे पहले अलिफ और दोजख जैसी फिल्में दे चुके हैं। कहानी यह है कि एक आदमी उत्तर प्रदेश के बनारस में रहता है। मंदिर में नक्काशी करने के काम उसे महारत हासिल है। मंदिर का पुजारी भी दावा करता है कि इस काम में उससे ज्यादा हुनरमंद कोई और नहीं है। लेकिन उसके धर्म को लेकर लोगों को परेशानी होती है। अल्लाह रक्खा के इस काम से उसके मजहब के लोग भी खफा रहते हैं और कहते हैं कि वो काफिरों की इबादतगाह में काम करता है। वहीं, हिंदू धर्म के भी कुछ लोगों को अल्लाह से अपच होती है। बाकी की स्टोरी आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा।
क्या कहा सिमाला प्रसाद ने
पत्रिका से बातचीत में सिमाला प्रसाद ने कहा कि मुझे लगता है कि हर किसी को उस काम के लिए समय जरूर निकालना चाहिए जो उसे अपने काम के अलावा करना पसंद हो। सिमाला प्रसाद ने कहा कि काम की वजह से मैं डिटेल में स्क्रिप्ट पढ़ने और रिहर्सल के लिए नहीं जा पाई। आईपीएस सिमाला प्रसाद ने यह भी कहा कि डायरेक्टर ने मुझे काफी पहले ही स्क्रिप्ट भेज दी थी। इस फिल्म में मुझे एक पत्रकार की भूमिका निभानी थी। जिसके लिए मैंने घर पर रिहर्सल की। अपनी बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान दिया, आवाज को किरदार के हिसाब से ढाला और पर्सनैलिटी पर ध्यान दिया। इस रोल में खुद को ढालने के लिए मैंने लोकल और रीजनल टीवी चैनल को बहुत ऑब्जर्व किया।
पत्रिका से बातचीत में सिमाला प्रसाद ने कहा कि मुझे लगता है कि हर किसी को उस काम के लिए समय जरूर निकालना चाहिए जो उसे अपने काम के अलावा करना पसंद हो। सिमाला प्रसाद ने कहा कि काम की वजह से मैं डिटेल में स्क्रिप्ट पढ़ने और रिहर्सल के लिए नहीं जा पाई। आईपीएस सिमाला प्रसाद ने यह भी कहा कि डायरेक्टर ने मुझे काफी पहले ही स्क्रिप्ट भेज दी थी। इस फिल्म में मुझे एक पत्रकार की भूमिका निभानी थी। जिसके लिए मैंने घर पर रिहर्सल की। अपनी बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान दिया, आवाज को किरदार के हिसाब से ढाला और पर्सनैलिटी पर ध्यान दिया। इस रोल में खुद को ढालने के लिए मैंने लोकल और रीजनल टीवी चैनल को बहुत ऑब्जर्व किया।
क्यों करती हैं फिल्में
सिमाला प्रसाद 2011 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। उनके पिता डॉ भागीरथ प्रसाद बीजेपी के सांसद रहे हैं। मां मेहरून्निसा परवेज साहित्यकार हैं। साल 2016 में उनकी मां ने ही बॉलीवुड डायरेक्टर जैगम इमाम से मिलवाईं थी। उस वक्त जैगम आलिफ की कास्टिंग कर रहे थे। सिमाला की खूबसूरती और सिंपलसिटी ने जैगम को खासा प्रभावित किया, जिसके बाद उन्होंने सिमाला से मुलाकात के लिए समय मांगा। जैगम समय मिलने के बाद सिमाला के पास फिल्म की कहानी लेकर पहुंचे और उसी समय उन्हें मुख्य भूमिका के लिए साइन कर लिया। सिमाला ने कहा कि मुझे लगा कि लोगों में अवेयरनेस लाने के लिए फिल्म में काम करना चाहिए।
सिमाला प्रसाद 2011 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। उनके पिता डॉ भागीरथ प्रसाद बीजेपी के सांसद रहे हैं। मां मेहरून्निसा परवेज साहित्यकार हैं। साल 2016 में उनकी मां ने ही बॉलीवुड डायरेक्टर जैगम इमाम से मिलवाईं थी। उस वक्त जैगम आलिफ की कास्टिंग कर रहे थे। सिमाला की खूबसूरती और सिंपलसिटी ने जैगम को खासा प्रभावित किया, जिसके बाद उन्होंने सिमाला से मुलाकात के लिए समय मांगा। जैगम समय मिलने के बाद सिमाला के पास फिल्म की कहानी लेकर पहुंचे और उसी समय उन्हें मुख्य भूमिका के लिए साइन कर लिया। सिमाला ने कहा कि मुझे लगा कि लोगों में अवेयरनेस लाने के लिए फिल्म में काम करना चाहिए।