दरअसल, कैलाश विजयवर्गीय आईपीएस प्रमोद फलणीकर के ऊपर जूता ताने हुए हैं। सोशल मीडिया पर इस तस्वीर को यह कहकर शेयर किया जा रहा है कि इस आईपीएस की विजयवर्गीय ने 1994 में पिटाई की थी। साथ ही कई तरह की बातें की जा रही हैं।
प्रमोद फलणीकर ने बताई सच्चाई
तस्वीर में दिख रहे आईपीएस प्रमोद फलणीकर अभी एनएसजी में बतौर आईजी पोस्टेड हैं। तस्वीर वायरल होने के बाद उन्होंने इसकी सच्चाई बताई है। प्रमोद फलणीकर ने कहा कि सोशल मीडिया पर इस तस्वीर को गलत तरीके से पेश की जा रही है। अगर कोई किसी पर हमला करता है तो उस इंसान के चेहरे पर तनाव होता है। वहीं, अगर किसी पुलिस अधिकारी पर हमला होगा तो दूसरे अधिकारी शांत से खड़ा नहीं रहेंगे।
फिर कैलाश ने जूता क्यों निकाला
प्रमोद फलणीकर ने बताया कि कैलाश विजयवर्गीय वहां पानी की समस्या को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। मैं वहां उनका धरना खत्म करवाने गया था। तब उन्होंने कहा था कि आपके कहने पर मैं धरना खत्म कर रहा हूं। नगर निगम के चक्कर लगाते-लगाते जूता घिस गया है। आईपीएस ने कहा कि फोटो के वायरल होने से मैं बहुत दुखी हूं।
वहीं, इस घटना के गवाह रहे कुछ लोग मानते हैं कि ये घटना सही है। कैलाश विजयवर्गीय ने आईपीएस पर जूते मारने के लिए ही उठाए थे लेकिन वे मारे नहीं थे। ये घटना साल 1994 की है। जब कैलाश विजयवर्गीय इंदौर के यशवंत रोड पर धरना दे रहे थे। वे आईपीएस को जूता मारने के लिए बढ़े थे लेकिन उन्हें आगे जाने से रोक दिया गया था।